धर्म-अध्यात्म

सावन के दूसरे सोमवार को बन रहे हैं ये खास योग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Renuka Sahu
24 July 2022 5:14 AM GMT
These special yogas are being made on the second Monday of Sawan, know the auspicious time and method of worship
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फाइल फोटो 

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन सोम प्रदोष की तिथि भी पड़ रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन सोम प्रदोष की तिथि भी पड़ रही है।। ऐसे में ये दिन और भी ज्यादा खास हो गया है। सावन का सोमवार के साथ-साथ प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इसके साथ ही इस दिन काफी खास योग बन रहे हैं। ऐसे में शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी और हर तरह के दुखों से निजात मिलेगी। सावन के दूसरे सोमवार को शाम के समय त्रयोदशी लग जाने से इस दिन सोम प्रदोष व्रत हो गया है। जानिए सावन के दूसरे सोमवार का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

सावन के दूसरे सोमवार को बन रहे हैं ये खास योग
पंचांग के अनुसार सावन के दूसरे सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत योग और धुव्र योग बन रहा है। ऐसे शुभ संयोगों में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग - 25 जुलाई को सुबह 5 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 26 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 14 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग- 25 जुलाई को सुबह 5 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 26 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 14 मिनट तक
धुव्र योग - 24 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 25 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक।
सावन के दूसरे सोमवार की पूजा विधि
सावन के दूसरे सोमवार के दिन प्रातःकाल सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें।
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति रखकर उनका जलाभिषेक करें।
किसी मंदिर में या फिर घर पर ही शिवलिंग एक चौकी में स्थापित करके दूध, गंगाजल, शहद, पंचामृत आदि से अभिषेक करें।
शिवलिंग में फूल, धतूरा, शमी, बेलपत्र, मदार के फूल आदि चढ़ाएं।
मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल आदि चढ़ाएं।
माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
इसके बाद धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
पूजा समाप्त होने के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
पूजा समाप्त होते ही प्रसाद हर किसी को बांट दें।
सुबह और सायं के समय भगवान शिव की प्रार्थना करें।
शाम को पूजा समाप्त करने के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।
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