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हर महीनें में एकादशी तिथि दो बार पड़ती है. इस दिन भगवान नारायण को समर्पित व्रत रखा जाता है. सभी एकादशी व्रत के नाम और महत्व अलग अलग होते हैं.
हर महीनें में एकादशी तिथि दो बार पड़ती है. इस दिन भगवान नारायण को समर्पित व्रत रखा जाता है. सभी एकादशी व्रत के नाम और महत्व अलग अलग होते हैं. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. इस बार योगिनी एकादशी 5 जुलाई 2021 को पड़ रही है.महाभारतकाल में भगवान श्रीकृष्ण ने योगिनी एकादशी व्रत को लेकर कहा है कि ये व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देने वाला है.
इसके अलावा मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करने से तमाम पाप मिट जाते हैं. यहां तक कि कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को भी रोग मुक्ति मिल जाती है. योगिनी एकादशी का व्रत रहने वाला धरती के सभी सुखों को प्राप्त करता हुआ, अंत में श्रीहरि के चरणों में स्थान प्राप्त करता है. लेकिन इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए. तभी ये व्रत फलित होता है. जानिए एकादशी व्रत को लेकर क्या हैं नियम.
एकादशी तिथि जरूर एक दिन की होती है, लेकिन इसका व्रत तीन दिनों तक चलता है. व्रत के नियम दशमी को सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं. व्यक्ति को भोजन दशमी को सूर्यास्त से पहले ही ग्रहण करना होता है, इसके बाद व्रत शुरू होता है और द्वादशी के दिन पारण करने तक चलता है.
दशमी की रात से लेकर द्वादशी के सुबह पारण करने तक अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. इस व्रत को भक्त अपनी श्रद्धा से निर्जल, सिर्फ पानी लेकर, फल लेकर या एक समय फलाहार लेकर करते हैं.
दशमी की रात से ही द्वादशी की रात तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है और दशमी की रात को जमीन पर सोया जाता है, जबकि एकादशी की रात को जागकर भगवान का कीर्तन किया जाता है. यदि आराम करना भी हो तो जमीन पर ही करें.
इस दिन घर के किसी भी सदस्य को अंडा, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. संभव हो तो सभी लोग सात्विक भोजन करें.
व्रत के दौरान कभी झूठ न बोलें. बड़ों का सम्मान करें और किसी के दिल को ठेस न पहुंचाएं. जरूरतमंदों की मदद करें.
व्रत को पूरा करने के बाद द्वादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं. उसके पैर छूकर आशीर्वाद लें और सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देकर घर से विदा करें. इसके बाद अपना व्रत खोलें.
योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
योगिनी एकादशी 04 जुलाई दिन रविवार को शाम को 07 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और 05 जुलाई को रात 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि की वजह से ये व्रत 05 जुलाई को रखा जाएगा. व्रत पारण का शुभ समय 06 जुलाई 2021, दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट के बीच है.
व्रत व पूजा विधि
एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु को साक्षी मानकर योगिनी एकादशी व्रत का संकल्प लें. इसके बाद सामर्थ्य के अनुसार निर्जल, सिर्फ जल पर, फल लेकर या एक समय फलाहार के साथ ये व्रत रखें. पूजा के स्थान पर वेदी बनाकर 7 तरह का अनाज रखें. भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. भगवान को पीला चंदन, हल्दी में रंगे पीले अक्षत, पीले फूल, फल और तुलसी दल चढ़ाएं. धूप-दीप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें और योगिनी एकादशी काी व्रत कथा पढ़े. अंत में भगवान विष्णु की आरती करें.
व्रत कथा
प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नाम का एक माली रहता था. वो हर दिन भगवान शिव के पूजन के लिए मानसरोवर से पुष्प लाया करता था. एक दिन उसे फूल लाने में बहुत देर हो गई और वो दरबार में देरी से पहुंचा. इस बात से राजा बहुत क्रोधित हुआ और उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया.
श्राप के प्रभाव से माली कोढ़ी हो गया और इधर-उधर भटकता रहा. एक दिन भटकते भटकते वो मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा. ऋषि ने अपने योग बल से समझ लिया किस उसे किस बात का दुख है. उन्होंने माली को योगिनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. ऋषि की सलाह मानकर माली ने विधि विधान के साथ व्रत पूरा किया और व्रत के प्रभाव से माली का कोढ़ समाप्त हो गया. अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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