धर्म-अध्यात्म

आज भी मौजूद हैं रामायण काल की ये निशानियां, जानिए क्या क्या ?

Ritisha Jaiswal
10 April 2022 4:25 PM GMT
आज भी मौजूद हैं रामायण काल की ये निशानियां, जानिए क्या क्या ?
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रविवार 10 अप्रैल को भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को अभिजीत मुहूर्त में हुआ था।

रविवार 10 अप्रैल को भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। श्रीराम ने विष्णु के अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया और लोगों को मर्यादा एवं सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया। श्रीराम के जीवन काल में कई उल्लेखनीय घटनाक्रम हुए। रामायण काल की कई निशानियां सदियों बाद आज भी मौजूद हैं।

अयोध्या नगरी
श्रीराम का जन्म सरयू नदी किनारे स्थित अयोध्या नगरी में हुआ था। वे राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे। यह स्थान आज भी रामजन्मभूमि के नाम से विख्यात है। फिलहाल जन्मभूमि पर राम का भव्य मंदिर बन रहा है। रामनवमी के मौके पर लाखों की संख्या में भक्त रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या में आते हैं।
रामसेतु
तमिलनाडु के रामेश्वरम से श्रीलंका के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित मन्नार द्वीप के बीच समंदर में सड़कनुमा भूभाग बना हुआ है। इसे रामसेतु कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब रावण सीता का हरण करके लंका ले गया, तब राम अपनी वानर सेना के साथ लंका के लिए निकले। रामेश्वरम तट से लंका के बीच समुद्र होने से राम की सेना के लिए पैदल मार्ग बनाया गया। इसे ही रामसेतु के नाम से जाना जाता है। लंका पर चढ़ाई करने से पहले श्रीराम ने रामेश्वरम में शिव की आराधना की थी, यहां श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग भी मौजूद है।
जनकपुरी
श्रीराम की पत्नी माता सीता का जन्म जनकपुरी में हुआ था। सीता राजा जनक की बेटी थी। राम और सीता का विवाह जनकपुरी में ही हुआ था। सीता के स्वयंवर के दौरान राम ने यहीं पर धनुष तोड़ा था। वर्तमान में जनकपुर नेपाल में स्थित है, जो कि भारतीय सीमा के महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां शहर के पास उत्तर धनुषा नाम का एक स्थान है, यहां पर पत्थर के टुकड़े धनुष के अवशेष के रूप में मौजूद हैं। यहीं पर राम-सीता का विवाह मंडप भी बना हुआ है। जहां देश-दुनिया से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं।
किशकिंदा
रामायण काल में किशकिंदा को वानर राज बाली और सुग्रीव की राजधानी बताया गया है। वर्तमान में कर्नाटक में हंपी के आसपास की जगह किशकिंदा मानी जाती है। तुंगभद्रा नदी के किनारे बाली और सुग्रीव की गुफा भी अभी मौजूद है। यहीं पर अंजनाद्री पर्वत स्थित है, कहा जाता है कि यहीं पर हनुमान का जन्म हुआ था। यहां से कुछ ही दूरी पर पंपा सरोवर भी स्थित है। वनगमन के दौरान श्रीराम और लक्ष्मण यहां ठहरे थे। पंपा सरोवर के पास ही शबरी की गुफा भी मौजूद है।
इनके अलावा रामायण काल की कई निशानियां अलग-अलग जगहों पर आज भी मिलती हैं। वनगमन के दौरान श्रीराम को केवट ने गंगा पार कराई थी, ये स्थान वर्तमान में प्रयागराज के पास शृंगवेरपुर में माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान सबसे ज्यादा समय चित्रकूट में बिताया था। यहीं पर भरत श्रीराम से मिलने आए थे। अभी ये जगह यूपी और एमपी की सीमा पर स्थित है।



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