धर्म-अध्यात्म

ये वो लोग है रामायाण और महाभारत दोनों अलग अलग युग में अहम भूमिका थी, जानिए कहानियां

Tara Tandi
23 May 2021 10:22 AM GMT
ये वो लोग है रामायाण और महाभारत दोनों अलग अलग युग  में अहम भूमिका थी,  जानिए कहानियां
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इन ये तो सब जानते हैं कि रामायाण और महाभारत दोनों अलग अलग युग की कहानियां हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इन ये तो सब जानते हैं कि रामायाण और महाभारत दोनों अलग अलग युग की कहानियां हैं. एक युग को पूरा होने में कई हजार साल लग जाते हैं. इसमें रामायण की कहानी त्रेतायुग की कहानी है, जबकि महाभारत का जिक्र द्वापर युग में है. यानी रामायण पहले की कहानी है और महाभारत उसके बाद की कहानी है. हो सकता है आपने टीवी पर रामायण और महाभारत दोनों देखी होगी, जिनमें कई तरह के किरदार मौजूद हैं.

लेकिन, कभी आपने गौर किया है कि रामायण और महाभारत में कई किरदार ऐसे हैं, जिनका जिक्र दोनों कहानियों में मिलता है. यानी उन लोगों की सिर्फ रामायण में ही नहीं, बल्कि महाभारत में भी अहम भूमिका थी. कहा जाता है कि इनका जीवन काफी लंबा रहा है और अवतार होने की वजह से इनका उपस्थिति दोनों युग में है. ऐसे में जानते हैं कि वो लोग कौन थे, जिनका जिक्र दोनों युग में हैं…
परशुराम
आपने रामायण देखी होगी तो आपने देखा होगा सीता स्वंयवर के वक्त जब भगवान राम से धनुष टूट जाता है तो परशुराम वहां आते हैं. इसके बाद अपना सुदर्शन भी रामजी को दे देते हैं. इसके बाद महाभारत में भी परशुराम जी का कई जगह जिक्र है. महाभारत में कर्ण को भी शिक्षा परशुराम जी ने ही दी थी. ऐसे में कहा जा सकता है परशुराम जी रामायण और महाभारत दोनों में थे.
हनुमान जी
ये तो सभी जानते हैं कि रामायण में हनुमान जी की कितनी भूमिका है. उन्होंने राम और रावण के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी और उन्हें रामभक्त के तौर पर जाना जाता है. इसके बाद महाभारत में भी हनुमान जी का जिक्र है. महाभारत में भी पांडव पुत्र भीम और हनुमान के बीच बातचीत दिखाई गई है.
महर्षि दुर्वासा
दुर्वासा ऋषि भी उन लोगों में से एक है, जो रामायण और महाभारत दोनों के वक्त दिखाई दिए थे. रामायण में दुर्वासा ऋषि और दशरथ के बीच बातचीत कई बार दिखाई गई है. इसके अलावा महाभारत में ऋषि दुर्वासा पांडव के निर्वासन के समय द्रोपदी की परीक्षा लेने के लिए उनकी कुटिया में पहुंचे थे.
जाम्वंत
आपने रामायण में जाम्वत की भूमिका तो देखी होगी, कैसे उन्होंने सीता जी को ढूंढने और रावण से युद्ध में भगवान राम की मदद की थी. लेकिन, कहा जाता है कि जाम्वंत महाभारत के दौर में भी थे और उन्हें भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध भी किया था.



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