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धर्म-अध्यात्म
गीता के ये लाइफ मैनेजमेंट सूत्र जीवन के कठिन समय में आपको सही राह दिखाएंगे
Bhumika Sahu
14 Dec 2021 4:17 AM GMT
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आज गीता जयंती है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे. चूंकि गीता के उपदेश स्वयं नारायण के स्वरूप श्रीकृष्ण के मुख से निकले थे, इसलिए गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ बना जिसकी जयंती मनाई जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती (Gita Jayanti) मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मोह के मायाजाल से निकालने के लिए गीता के उपदेश दिए थे, जो आज भी अमर हैं. गीता में लिखी बातें व्यक्ति को जीवन के सच से वाकिफ कराती हैं और हर परिस्थिति में राह दिखाती हैं.
आज 14 दिसंबर मंगलवार को गीता जयंती है. बता दें कि श्रीमद्भागवद् गीता ( Bhagavad Gita) एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है क्यों कि इसमें लिखा हर शब्द स्वयं नारायण के अवतार श्रीकृष्ण के मुख से निकला है. गीता जयंती के इस अवसर पर हम आपको बताएंगे, ऐसे गीता में लिखे वो लाइफ मैनेजमेंट सूत्र जो जीवन के कठिन समय में आपको राह दिखाने का काम करेंगे.
1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
इस श्लोक के जरिए श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन ! तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने पर है, फल पर नहीं. इसलिए तुम फल की चिंता को छोड़कर अपना कर्म करो. जो व्यक्ति फल की अभिलाषा से कर्म करते हैं, वे न तो उचित कर्म कर पाते हैं और न ही उस फल को प्राप्त कर पाते हैं. इसलिए हे अर्जुन ! कर्म को तुम अपना धर्म मानकर करो.
2. यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते
इस श्लोक में श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कहते हैं कि श्रेष्ठ पुरुष जो भी आचरण करते हैं, दूसरे पुरुष उसी को आदर्श मानकर उसका अनुसरण करते हैं. वो जो कुछ भी उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त संसार उसी के अनुसार बरतने लग जाता है.
3.अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः
इस श्लोक के माध्यम से श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति संदेह या संशय करता है, उसे कभी भी सुख और शांति नहीं मिलती. ऐसे में वो खुद का ही विनाश करता है. उसे न इस लोक में सुख मिलता है और न परलोक में.
4. ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते
विषयों और वस्तुओं के प्रति लगाव भी कई बार असफलता का कारण बन जाता है. अगर आप लगाव को खुद से दूर नहीं करेंगे, तो वस्तुओं के लगाव से एक इच्छा जन्म ले लेगी, उसकी पूर्ति न होने पर क्रोध होगा. ये बातें आपकी सफलता में बाधक बनती हैं.
5. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः
गीता के इस श्लोक में कहा गया है कि आत्मा को न तो शस्त्र काट सकता है? न ही अग्नि जला सकती है, न ही पानी गीला कर सकता है और न ही वायु सूखा सकती है.
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