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जनता से रिश्ता बेवङेस्क | रामायण और महाभारत काल में भी मंदिर होते थे। इस बात के कई प्रमाण मिल जाएंगे। रामायण काल में मंदिर होते थे, इसके प्रमाण हैं। राम का काल आज से 7129 वर्ष पूर्व था अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व। राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी। इसका मतलब यह कि उनके काल से ही शिवलिंग की पूजा की परंपरा रही है। राम के काल में सीता द्वारा गौरी पूजा करना इस बात का सबूत है कि उस काल में देवी-देवताओं की पूजा का महत्व था और उनके घर से अलग पूजास्थल होते थे। आओ जानते हैं कि महाभारत काल में किन देवी और देवताओं की पूजा होती थी।
1. महाभारत काल में श्रीकृष्ण जिन गोपियों का वस्त्र हरण करते हैं वे सभी गोपियां गांव से दूर यमुना तट पर माता कात्यायिनी के मंदिर में माता की पूजा के पूर्व स्नान करने जाती है। वस्त्र हरण और स्नान करने की यह घटना तब घटी थी जब श्रीकृष्ण की उम्र मात्र 6 वर्ष की थी।
2. महाभारत में दो और घटनाओं में कृष्ण के साथ रुक्मणि और अर्जुन के साथ सुभद्रा के भागने के समय दोनों ही नायिकाओं द्वारा देवी पूजा के लिए वन में स्थित गौरी माता (माता पार्वती) के मंदिर की चर्चा है।
3. कुरुक्षेत्र के युद्ध की शुरुआत के पूर्व भी कृष्ण पांडवों के साथ गौरी माता के स्थल पर जाकर उनसे विजयी होने की प्रार्थना करते हैं। अर्जुन माता दुर्गा की उपासना करके उनसे विजयी होने का आशीर्वाद लेता है।
4. गौरी माता के अलावा महाभारत काल में इंद्रदेव की पूजा कर खास प्रचलन था। भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी पूजा करने को बंद करवा दिया था।
5. महाभारत काल में माता गौरी, शिव और इंद्र के अलावा विष्णु, लक्ष्मी, सूर्य, यक्ष, नाग और भैरव पूजा का भी प्रचलन था।