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मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं हैं ये चार माह, जानिए चातुर्मास की तिथि और महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, चौमासा यानी चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू हो जाती है। इसके साथ ही हिंदू कैलेंडर के मुताबिक श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक इन चार माह में कोई भी शुभ काम नहीं होते हैं। वेद-पुराणों के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में उनकी जगह भगवान शिव सृष्टि का हर एक काम संभालते हैं। इसी कारण इन चार माह में किसी भी तरह के मांगलिक काम को करने की मनाही होती है। जानिए चातुर्मास की तिथि, अर्थ और महत्व।
चातुर्मास का समापन: 04 नवंबर 2022, शुक्रवार को देवउठनी एकादशी के साथ समापन
चातुर्मास में होंगे कौन-कौन से माह
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से चातुर्मास की गणना की जाती है। इसलिए आषाढ़ माह से लेकर कार्तिक मास तक के माह चातुर्मास में आएंगे। आषाढ़ माह की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की एकादशी तक होंगे।
आषाढ़ माह: 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से लेकर आषाढ़ पूर्णिमा पड़ेगी।
श्रावण माह- इस पूरे माह चातुर्मास रहेगा।
भाद्रपद माह: इस माह भी पूरे 30 तिथियां चौमासा होगा।
अश्विन माह: पूरा महीना चौमासा
कार्तिक मास: देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास होगा।
चातुर्मास का महत्व
चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु के साथ-साथ सभी देवी-देवता योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इस चारों महीनों में भगवान शिव ही जाग्रत रहते हैं और उनकी पूजा विधिवत तरीके से करना शुभ माना जाता है। इसी कारण इसी माह में भगवान शिव का प्रिय माह सावन यानी श्रावण भी पड़ता है। मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इन महीनों में तामसिक प्रवृत्तियां सबसे ज्यादा बढ़ जाती हैं जो व्यक्ति को गलत रास्ते में ले जाने का पूरा प्रयास करती है।