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परिवर्तिनी एकादशी, भाद्रपद पूर्णिमा, पितृपक्ष सहित इस सप्ताह पड़ रहे हैं ये व्रत त्योहार
सितंबर माह के दूसरे सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है। 5 सितंबर 2022, सोमवार से शुरू हुए इस सप्ताह में एकादशी, भाद्रपद पूर्णिमा, अनंत चतुर्दशी, ओणम जैसे कई व्रत त्योहार पड़ रहे हैं। इसके साथ ही इसी सप्ताह से पितरों को समर्पित पितृपक्ष की शुरुआत भी हो रही है। 15 दिनों तक पड़ने वाले पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए इस सप्ताह पड़ने वाले सभी व्रत त्योहारों के बारे में।
सितंबर के दूसरे सप्ताह के व्रत त्योहार
06 सितंबर 2022, मंगलवार- परिवर्तिनी एकादशी
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। मंगलवार के दिन पड़ने इस दिन का और भी अधिक महत्व बढ़ गया है। इस एकादशी को इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है।
08 सितंबर गुरुवार-गुरु प्रदोष व्रत और ओणम
भाद्रपद की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने का विधान है। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन शिव जी की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिलने के साथ-साथ रोग, दोष से भी निजात मिलती है।
ओणम
ओणम दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु में मनाया जाने वाले प्रमुख पर्वों में से एक है। इसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं। इस दिन घरों को रंग बिरंगे फूलों से सजाते हैं। इस साल यह पर्व 8 सितंबर को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था।
09 सितंबर, शुक्रवार- गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी 2022
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाते हैं। इस दिन से गणेश उत्सव का समापन हो जाता है। इसके साथ ही विधिवत तरीके से गणेश विसर्जन किया जाता है। इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा भी की जाती है।
10 सितंबर, शनिवार- भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 2022
भाद्रपद की पूर्णिमा शनिवार के दिन पड़ रही है। इस दिन स्नान दान का काफी अधिक महत्व है। इसके साथ ही इस दिन पितृपक्ष की शुरुआत भी हो रही है।
पितृ पक्ष
इस साल भाद्र पक्ष की पूर्णिमा तिथि के साथ पितृपक्ष की शुरुआत भी हो रही है। जो आश्विन मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होगे। इस दिन से अगले 15 दिनों तक पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने का अधिक महत्व है।