धर्म-अध्यात्म

इंसान की बुद्धि भ्रष्ट कर देते हैं ये अवगुण

Tara Tandi
13 May 2021 8:05 AM GMT
इंसान की बुद्धि भ्रष्ट कर देते हैं ये अवगुण
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आचार्य चाणक्य विद्वान पुरुष होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आचार्य चाणक्य विद्वान पुरुष होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे. उन्होंने जीवन के हर पहलू का बारीकी से अध्ययन किया और लोगों का मार्गदर्शन किया. आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त जैसे नामों से भी जाना जाता है. आचार्य की कूटनीति, राजनीति, विद्वत्ता और क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने नंदवंश का नाश करके एक साधारण से बालक को सम्राट बना दिया था. जीवन के तमाम अनुभवों को आचार्य ने चाणक्य नीति नामक ग्रंथ में उतारा है, ताकि आम जनमानस उससे शिक्षा लेकर अपने जीवन को आसान बना सके. आइए जानते हैं चाणक्य नीति की कुछ खास बातें.

आचार्य ने कुछ ऐसे गुणों का जिक्र किया है जो व्यक्ति की बुद्धि को पूरी तरह भ्रष्ट कर देते हैं और उसे कुछ दिखाई नहीं देता. ये अवगुण हैं अहंकार, वासना और लालच. एक अहंकारी व्यक्ति को कभी सही और गलत का फर्क नजर नहीं आता क्योंकि उसे लगता है कि वो जो भी करता है सही ही करता है. जो लोग वासना के अधीन हैं, उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता. इसके अलावा लालच में पड़ा व्यक्ति हर जगह पैसे को पाने की तरकीब लगाता है. उसकी नजर दूसरों के पैसों पर टिकी रहती है. उसे अपने काम में अच्छा या बुरा दिखाई नहीं देता.
आचार्य का कहना था कि यदि जीवन में आगे बढ़ना है तो हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें और बुद्धिमान व्यक्ति की तरह अपनी इंद्रियों को वश में रखें. अपने मन को वश में रखें. सीखने की आदत को कभी न छोड़ें. यदि व्यक्ति चाहे तो इंसान से ही क्या, जानवरों से भी काफी कुछ सीखा जा सकता है. जैसे गधे से तीन बातें सीखी जा सकती हैं – अपना बोझ ढोना न छोड़ें, लक्ष्य प्राप्ति के बीच सर्दी गर्मी की चिंता न करें और हर परिस्थिति में संतुष्ट रहें.


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