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ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह कहा गया है और ज्यादातर लोगों को यही लगता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह कहा गया है और ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि शनि के प्रभाव से हमेशा बुरे फल की ही प्राप्ति होती है लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है. शनि, हर प्राणी के साथ उचित न्याय करते हैं और हर व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से ही फल देते हैं, इस कारण शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है. आज हम आपको बता रहे हैं कि जीवन में आने वाले समस्याओं और लक्षणों के आधार पर किस तरह से आप जान सकते हैं कि शनि की साढ़ेसाती शुरू हो चुकी है और बुरे प्रभाव से बचने के लिए क्या उपाय करें
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो शनि की साढ़े सात साल तक चलने वाली ग्रह दशा को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है. अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की चाल सबसे धीमी होती है और वो एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. शनि एक साथ तीन बार किसी राशि को प्रभावित करते हैं. ढाई-ढाई साल का तीन चरण साढ़े सात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है.
शनि का एक चरण ढाई साल का होता है और पहले चरण में शनि जातक को मानसिक तौर पर परेशान करते हैं इस दौरान मानसिक तनाव और बेवजह का चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है और हर वक्त सिर में दर्द रहता है. साढ़ेसाती के दूसरे चरण में आर्थिक और शारीरिक रूप से कष्ट होने लगता है. अचानक बने बनाए काम का बिगड़ जाना, खर्च का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना, किसी बड़ी बीमारी या दुर्घटना की चपेट में आना- ये सब साढ़ेसाती के दूसरे चरण के लक्षण हैं आपको हैरानी होगी कि साढ़ेसाती का तीसरा चरण अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दौरान शनिदेव आपको हुए नुकसान की भरपाई करते हैं
-हथेलियों का रंग बदलना या हथेली की रेखाओं में कहीं नीला तो कहीं कालेपन जैसा धब्बा दिखना
-माथे से चमक गायब हो जाना और ललाट पर कालापन नजर आना, अपमानित होने या छवि खराब होने का डर सताना
-नाखून का कमजोर होकर अपने आप टूटने लगना या आंखों के नीचे कालापन (Black eye) आना
-बात-बात पर गुस्सा आना, कर्कश वाणी, विचारों में उग्रता और परिवार में कलह
1. शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देते हैं और दान करना पुण्य कर्म माना गया है. इसलिए शनिवार के दिन लोहा, काले उड़द की दाल, काला तिल या काला वस्त्र दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
2. शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और शनि स्त्रोत का पाठ करें. इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
3. शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर सरसों के तेल में काला तिल मिलाकर शनिदेव को अर्पित करें.
4. हनुमान जी की पूजा करने से भी शनिदेव शांत हो जाते हैं और अशुभ फल नहीं देते. इसलिए शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा पढ़ें

Ritisha Jaiswal
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