धर्म-अध्यात्म

इंसान की जिंदगी में ये 6 कष्ट, सबसे बड़े होते हैं जिंदगी भर सताता है दर्द

Teja
24 May 2022 9:49 AM GMT
इंसान की जिंदगी में ये 6 कष्ट, सबसे बड़े होते हैं जिंदगी भर सताता है दर्द
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आचार्य चाणक्य को भारतीय राजनीति, कूटनीति और अर्थशास्त्र का पितामह कहा जाता है। उन्होंने अपनी नीतियों में ना केवल सफलता के मूलमंत्र का उल्लेख किया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आचार्य चाणक्य को भारतीय राजनीति, कूटनीति और अर्थशास्त्र का पितामह कहा जाता है। उन्होंने अपनी नीतियों में ना केवल सफलता के मूलमंत्र का उल्लेख किया है बल्कि जीवन के हर पहलू पर बात की है। उन्होंने मनुष्य को जीवन की कई ऐसी गूढ़ बातें बताई है जिसे मानकर व्यक्ति जीवन में कभी भी मात नहीं खा सकता। वैसे तो चाणक्य ने अर्थशास्त्र के संबंध पर काफी कुछ लिखा है, लेकिन उन्होंने खुशहाल जीवन और उन्नति के बारें में भी कई बातें बताई है। जिनका पालन कर आप भी अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।

आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन से जुड़ी कई गूढ़ बातें बताई है जिनका अनुसरण करने से मनुष्य को जीवन हर जगह सफलता मिलती है। आचार्य चाणक्य के द्वारा बताए गए नीतियों का पालन कर मनुष्य जीवन में कभी भी मात नहीं खा सकता है। चाणक्य ने कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में चर्चा की हैं जो मनुष्य के लिए बहुत ही कष्टकारी मानी गई हैं।
चाणक्य के मुताबिक किसी भी मनुष्य के लिए पत्नी का वियोग, अपने ही लोगों द्वारा बेइज्जत किया जाना, कर्ज, दुष्ट राजा की सेवा करना और गरीब ब कमजोर लोगों की सभा में शामिल होना सबसे बड़ी कष्टकारी स्थिति होती है। ये छह बातें मनुष्य को बिना अग्नि के ही जला देती है।
कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।
ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
कदरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।
उपरोक्त चाणक्य के श्लोक का अर्थ ये है कि जिस व्यक्ति की पत्नी छोड़कर चली जाती है, उसका दर्द वही समझ सकता है। वहीं व्यक्ति अपनों द्वार जब बेइज्जत होता है तो ये बहुत बड़ा कष्ट होता है। ये एक ऐसी कष्टकारी पीड़ा होती है जो जिसे मनुष्य के लिए भूला पना काफी मुश्किल होता है। इससे भी अधिक कष्टकारी दुष्ट राजा की सेवा करना होता है।
दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
अगले श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति गलत लोगों की संगत में रहता है। दुष्टों के साथ उठता-बैठता है और बुरे कार्यों को करने वालों से मित्रता करता है तो ऐसे व्यक्ति का बर्बाद होना निश्चित है उसे कोई नहीं बचा सकता है। लिहाजा संगत को लेकर मनुष्य सदैव सतर्क और गंभीर होना चाहिए।




















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