धर्म-अध्यात्म

इन 5 सिद्धान्तों ने युवा चंद्रशेखर को बना दिया 'गुरुजी'

Rani Sahu
5 July 2022 3:04 PM GMT
इन 5 सिद्धान्तों ने युवा चंद्रशेखर को बना दिया गुरुजी
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‘सरल वास्तु’ एक्सपर्ट चंद्रशेखर गुरुजी (Chandrashekhar Guruji) की कर्नाटक के हुबली में मंगलवार को एक होटल में हत्या कर दी गई है

'सरल वास्तु' एक्सपर्ट चंद्रशेखर गुरुजी (Chandrashekhar Guruji) की कर्नाटक के हुबली में मंगलवार को एक होटल में हत्या कर दी गई है. हत्या की वारदात सीसीटीवी में कैद हो गई है. पुलिस को आशंका है कि चंद्रशेखर गुरुजी होटल में किसी से ​मिलने गए थे, जहां चाकू मारकर रिसेप्शन पर ही उनकी हत्या कर दी गई. बता दें कि सरल वास्तु (Saral Vastu) के जानकार चंद्रशेखर ने ठेकेदार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्हें मुंबई में सिविल कॉट्रैक्टर की नौकरी मिल गई. लेकिन बचपन से ही उनके मन में जन सेवा करके जीवन को सार्थक बनाने का विचार आया करता था. 1995 में जरूरतमंद लोगों की सेवा के उद्देश्य से 'शरन संकुल ट्रस्ट' नामक ट्रस्ट की स्थापना की. बाद में वो वास्तु का काम करने लगे. युवा और ओजस्वी चंद्रशेखर के जीवन के पांच सिद्धांत थे, जिन्हें अंगीकार करने के बाद उन्हें जनहितैषी, मार्गदर्शक, उपदेशक और 'गुरुजी' के रूप में जाना जाने लगा.

इन 5 सिद्धान्तों ने युवा चंद्रशेखर को बना दिया 'गुरुजी'
1. जीवन में किसी को धोखा न दें
वास्तु एक्सपर्ट चंद्रशेखर गुरुजी का मानना था कि जीवन को हमेशा ईमानदारी से बिताना चाहिए. व्यक्ति को अपनी आत्मा को शुद्ध रखना चाहिए. कभी किसी का बुरा करने का खयाल भी मन में नहीं चाहिए और न ​ही किसी को धोखा देना चाहिए. जो लोग इस सिद्धांत का भक्तिभाव से पालन करते हैं, उनको अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सब कुछ प्राप्त होता है.
2. विनम्रता कभी नहीं खत्म होनी चाहिए
चंद्रशेखर का मानना था कि आप जीवन में चाहे कितनी बड़ी सफलता प्राप्त कर लें, लेकिन अपनी जमीन से हमेशा जुड़े रहें. कभी भी घमंड न करें. अपना व्यवहार दूसरों के प्रति हमेशा विनम्र रखें. इससे आपको सफलता भी मिलेगी और स​हयोगियों का भरपूर समर्थन भी मिलेगा.
3. माता-पिता को हमेशा खुश रखें
चंद्रशेखर गुरुजी का मानना था कि जिन्होंने हमें जन्म दिया, हमारी देखभाल की, उनकी देखभाल करना हमारे लिए सौभाग्य की बात होती है. इसलिए अपने माता पिता का हमेशा खयाल रखें. उनकी सेवा करें और उन्हें प्रसन्न रखें. आपके माता पिता जितना प्रसन्न रहेंगे, सुख, समृद्धि और सफलता आपके पास आएगी.
4. जरूरतमंदों की मदद करें
आपको हमेशा अपने स्वभाव में दया भाव रखना चाहिए और गरीब असहाय और जरूरतमंदों की संभव मदद करनी चाहिए. अगर आप नि:स्वार्थ भाव से लोगों की मदद करेंगे, तो आपको जीवन में ढेरों आशीर्वाद प्राप्त होंगे और जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होगी.
5. खुद खुश रहें और दूसरों को खुश रखें
गुरुजी का मानना था कि दूसरों को खुश रखना भी बहुत नेक काम है, लेकिन ये काम तभी पूरा हो सकता है, जब आप खुद को प्रसन्न रखेंगे. इसके लिए आंतरिक रूप से मन को प्रसन्न रखें. अगर आपका मन प्रसन्न होगा, तो आप प्रसन्नता को दूसरों के बीच भी बांट पाएंगे.
Rani Sahu

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