धर्म-अध्यात्म

आचार्य चाणक्य के ये 2 नियम जीवन में हर किसी को फॉलो करने चाहिए

Renuka Sahu
3 Oct 2021 2:56 AM GMT
आचार्य चाणक्य के ये 2 नियम जीवन में हर किसी को फॉलो करने चाहिए
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फाइल फोटो 

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने दोस्ती के दो नियमों के बारे में बताया है।

'जीवन में दो ही नियम रखना, मित्र सुख में हो आमंत्रण के बिना जाना नहीं, अगर मित्र दुख में हो तो आमंत्रण का इंतजार करना नहीं।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को दोस्ती में भी दो नियमों को फॉलो करना चाहिए। ये दो नियम बहुत अहम हैं क्योंकि ये दोस्ती के उस पहलू की ओर इशारा करते हैं जो अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं। ये दो नियम हैं- मित्र सुख में हो आमंत्रण के बिना जाना नहीं, अगर मित्र दुख में हो तो आमंत्रण का इंतजार करना नहीं। आज हम बारी-बारी से इन दो नियमों के बारे में डिटेल में आपको बताएंगे।
पहला-मित्र सुख में हो आमंत्रण के बिना जाना नहीं। आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि अगर आपका मित्र सुख में हो तो आपको उसके घर बिन आमंत्रण के नहीं जाना चाहिए। कई लोग इस लाइन को पढ़कर सोचेंगे कि आखिर ऐसा क्यों? दरअसल, सुख में कई बार इंसान ये चाहता है कि वो और उसरा परिवार अकेले ही इसे एन्जॉय करें। किसी का भी आना जाना सामने वाले की आंखों में खटक सकता है। खासतौर पर जब उसके पास वो सारी सुख सुविधाएं हो जो आपके पास ना हो। ऐसे में खुशी में डूबा व्यक्ति हो सकता है कि जाने अनजाने में आपसे ऐसी बात कह दे जो आपके दिल को चुभ जाए। इसलिए हमेशा इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है। फिर चाहे सामने वाला आपका कितना भी अच्छा दोस्त क्यों ना हो।
दूसरा- अगर मित्र दुख में हो तो आमंत्रण का इंतजार करना नहीं। सुख में तो हर कोई ये चाहता है कि वो अकेले ही इसे जिए लेकिन दुख में हर किसी को एक दूसरे का साथ देना चाहिए। हालांकि कई बार लोग ये सोचते हैं कि सामने वाला आपको बुलाएगा तब आप उसका दुख साझा करने जाएंगे। अगर आप ये सोचते हैं तो इस सोच को बदल लीजिए। क्योंकि अगर आप किसी व्यक्ति के सुख में भले ही साथ ना हो लेकिन दुख में अगर आप साथ खड़े हैं तो आप उसके सच्चे दोस्त हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बुरा वक्त आते ही ज्यादातर लोग इस दुनिया में एक दूसरे का साथ छोड़ देते हैं। लेकिन जो बुरे वक्त में आपका साथ दे वही आपका अच्छा और सच्चा दोस्त कहलाता है।


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