धर्म-अध्यात्म

ग्वालियर में जहाँ एक ऐसा भी मंदिर,जहाँ भगवान् हमुमान के हाँथ में गदा नहीं

HARRY
21 April 2023 1:54 PM GMT
ग्वालियर में जहाँ एक ऐसा भी मंदिर,जहाँ भगवान् हमुमान के हाँथ में गदा नहीं
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आइए जाने क्यों है ये परंपरा

जनता से रिश्ता वेबडेसक | क्या आप जानते हैं कि ग्वालियर में अंचल का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान के हाथ में उनकी “गदा’ नहीं बल्कि “तलवार’ है। यही कारण है कि इन हनुमान का नाम तलवार वाले हनुमान पड़ गया है। पर आप जानना नहीं चाहेंगे कि आखिर हनुमान के इस रूप के पीछे क्या कारण है। जब भगवान राम-लक्ष्मण को हैरावण पाताल लोक में ले गया था और उनकी बलि देने वाला था, तब भगवान हनुमान ने हैरावण का उसकी ही तलवार से वध कर भगवान को मुक्त कराया था।

उस समय हनुमान जी ने तलवार और ढाल धारण की थी। उसी रूप में यहां हनुमान भगवान के दर्शन होते हैं। मंदिर में आने वाले लोगों की मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ग्वालियर शहर में तलवार वाले हनुमान का मंदिर शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूर जलालपुर रोड मुरैना हाइवे के पास बना हुआ है। आपको बता दें कि देश भर में हनुमानजी के कई मंदिर हैं, जहां उनकी अलग प्रतिमा के साथ चमत्कारों का वर्णन होता है।

भगवान जीतनी जगह जाते हैं हर जगह अपनी एक अलग माया दिखाते हैं। इस मंदिर में हनुमानजी अपने हाथ में तलवार लिए सभी को जीत का आशीर्वाद देते हुए मुद्रा में हैं। कहा जाता है कि यहां कई राजा युद्ध लड़ने से पहले जीत का आशीर्वाद लेने आते थे और आज तक किसी की आशीर्वाद लेने के बाद हार नहीं मिली है। आजकल लोग यहां परेशानियों का हल जानने के लिए आते हैं और साथ ही जीत का आशीर्वाद लेकर ही वापस जाते हैं।

तलवार वाले हनुमान मंदिर के पुजारी लखनदास महाराज का कहना है कि जब राम-लक्ष्मण को हैरावण पाताललोक ले गया था और माता को बलि देने वाला था, तभी उसके पीछे हनुमान भी पाताल लोक पहुंच गए थे। उन्होंने हैरावण की तलवार से उसका वध कर दिया था। उसी रूप को यहां प्रदर्शित किया गया हैऐसा मंदिर पूरे शहर के साथ-साथ प्रदेश में भी नहीं है। मंदिर के पुजाजी की माने तो यह 500 से 600 साल पुराना है। यह मूर्ति की स्थापना कैसे हुई कोई नहीं जानता। मंदिर का वर्तमान स्वरूप अभी हाल ही में विकसित हुआ है। यहां दर्शन करने वाले भक्त आकर अपनी अर्जी लगाते हैं चाहे भक्तों की नौकरी बीमारी या निसंतान महिलाएं पांच मंगल या शनि परिक्रमा लगाकर मनोकामना मांगती है।

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