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धर्म-अध्यात्म
झारखंड में है सोलह भुजाओं वाली मां का तीर्थ, जानें पूजा विधि और महत्व
Tulsi Rao
24 May 2022 12:28 PM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड राज्य में कई ऐसे उपासना स्थल हैं, जो सनातन धर्मावलंबियों की अटूट आस्था का केंद्र हैं। उनमें एक बेहद महत्त्वपूर्ण आस्था केंद्र है दिउड़ी मंदिर। दिउड़ी की मां भगवती प्राचीन महिमामयी देवीस्थानों में से एक मानी जाती हैं। यह स्थान मनौती पूर्ण करने के विशिष्ट केंद्र के रूप में लोक आस्था का केंद्रबना हुआ है। इसके गुंबदनुमा मीनारयुक्त शिखर और संपूर्ण ऊपरी भाग पर विविध देव मूर्तियों का सुंदर अंकन है। एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बने नए मंदिर के ठीक बीच में विभिन्न आकार-प्रकार के पाषाण खंडों से बने पुराने मंदिर का ढांचा और उसी के बीच गर्भगृह में माता के दर्शन होते हैं।
गर्भगृह के अंदर लगभग साढ़े तीन फीट ऊंची माता रानी का आकर्षक विग्रह काले चमकदार पत्थर का बना हुआ है। यहां मां की मूर्ति में सोलह भुजाएं बनी हुई हैं, जबकि अन्य प्रतिमाओं में आमतौर आठ भुजाएं ही होती हैं। वस्त्र-आभूषणों और पुष्पों से सुसज्जित मां की यह प्रतिमा कमल दल पर विराजित है। सबसे खास बात यह है कि यहां पूजा-अर्चना आदिवासी धार्मिक परम्परा के ब्राह्मण पाहन और सनातन पंडा-पुजारी दोनों समान रूप से करते हैं। यहां के एक पुजारी मनसा पाहुन बताते हैं, 'हमारी कुल परम्परा के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना कलिंग जाते समय स्वयं सम्राट अशोक ने पाहुन श्रेष्ठ के आशीर्वाद के उपरांत की थी।'
मां दिउड़ी की स्थापना की कथा आदिवासियों के एक बड़े समुदाय 'असुर' से भी जुड़ी है। मां दिउड़ी इनकी अधिष्ठात्री शक्ति हैं। विवरण मिलता है कि वर्ष 1300 ईस्वी के आसपास सिंहभूम के मुंडा राजा केरा ने युद्ध में पराजित होने के बाद यहां एक विशेष अनुष्ठान के तहत मां की साधना कर उन्हें जाग्रत किया था, जिसके फलस्वरूप न सिर्फ उन्हें खोया हुआ राज्य मिल गया, पहले की तरह सर्वत्र सुख-शांति कायम हो गई।
इस तीर्थ में माताजी के साथ-साथ गणेश जी, शिव शंकर, श्रीभैरव, मां काली, मां अन्नपूर्णा, पाहुन पीठ, लोक देवी-देवता और ब्रह्म देवता का स्थान है। प्रत्येक मंगलवार, शनिवार, रविवार और साल के दोनों नवरात्रों, पहली जनवरी, करमा, सरहुल जैसे पर्वों में भक्तों की भारी उपस्थिति से यहां महामेला लग जाता है। कहते हैं, जो जिस भाव को लेकर आता है, मां उसे निश्चित रूप से पूरा करती है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी यहां दर्शन करने आते रहते हैं। मां दिउड़ी तीर्थ में सामान्यत: सुबह 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक भक्त दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें: राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर और टाटानगर से 75 किलोमीटर दूरी पर विराजमान मां का स्थान तमाड़ प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। यहां आने-जाने में कोई परेशानी नहीं। यहां खाने, ठहरने की सुविधा उपलब्ध है। निकटतम रेलवे स्टेशन रांची और जमशेदपुर हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा बिरसा मुंडा हवाई अड्डा, रांची है।
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