धर्म-अध्यात्म

देवउठनी एकादशी में बाकी हैं इतने दिन, जानिए तारीख और पूजा विधि

Bhumika Sahu
8 Nov 2021 4:00 AM GMT
देवउठनी एकादशी में बाकी हैं इतने दिन, जानिए तारीख और पूजा विधि
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देवउठनी एकादशी 2021 पर भगवान विष्‍णु (Lord Vishnu) के जागते ही सारे शुभ काम शुरू हो जाएंगे. इस दिन भगवान विष्‍णु और तुलसी का विवाह कराया जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चातुर्मास के दौरान पाताल लोक में निद्रालीन रहे भगवान विष्‍णु (Lord Vishnu) अब अपनी नींद पूरी करके देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2021) को जागने वाले हैं. इस दिन से एक बार फिर भगवान विष्‍णु पूरी सृष्टि का कार्यभार संभाल लेंगे और शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे. 4 महीनों के दौरान यह शुभ काम वर्जित रहते हैं. भगवान विष्‍णु के जागने पर एकादशी के दिन भक्‍त उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. इसे देव दीपावली भी कहा जाता है. देव जागने के इस पर्व के दिन मंदिरों में खूब सजावट की जाती है. इस साल देवउठनी एकादशी 14 नवंबर को मनाई जाएगी.

देवउठनी एकादशी को होगा तुलसी विवाह
कार्तिक महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी 14 नवंबर 2021 को सुबह 05:48 बजे शुरू होगी और 15 नवंबर 2021 की सुबह 06:39 बजे खत्‍म होगी. इसी दिन तुलसी जी का भगवान शालिग्राम के साथ विवाह (Tulsi-Shaligram Vivaah) रचाया जाता है और इसी के साथ शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. भगवान विष्‍णु को तुलसी बेहद प्रिय हैं और वे मां लक्ष्‍मी का ही रूप है. इस दिन व्रत रखने वाले व्रती 15 नवंबर को दोपहर 01:10 से 03:19 बजे के बीच पारणा कर सकेंगे.
ऐसे करें एकादशी की पूजा
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इसके लिए सुबह जल्दी स्नान करने के बाद घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु का गंगाजल से अभिषेक करें. दीप जलाएं. भगवान को फूल, तुलसी दल, फल, मिठाईयां अर्पित करें. शाम को भगवान विष्‍णु को भोग लगाकर उनकी आरती करें. याद रखें कि इस दिन भगवान को तुलसी दल जरूर अर्पित करें क्‍योंकि बिना तुलसी के भगवान भोग को स्‍वीकार नहीं करते हैं. भगवान विष्‍णु, तुलसी जी के अलावा इस दिन माता लक्ष्‍मी की भी पूजा करें. संभव हो तो इस दिन व्रत जरूर करें और रात में तुलसी-शालिग्राम का विवाह रचाएं.


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