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धर्म-अध्यात्म
होली में बाकी हैं बस इतने दिन.....जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Bhumika Sahu
22 Feb 2022 2:49 AM GMT
![होली में बाकी हैं बस इतने दिन.....जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि होली में बाकी हैं बस इतने दिन.....जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/02/22/1511555--.webp)
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अबीर-गुलाल के साथ होली खेलने और पुराने झगड़े भूलकर जिंदगी में नए रंग भरने का त्योहार होली अब बहुत करीब है. इस साल होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने के लिए केवल सवा घंटे का ही शुभ मुहूर्त रहेगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बसंत महीना लगने के बाद इंतजार शुरू हो जाता है रंगों के त्योहार होली का. होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे साल की शुरुआत के बाद पड़ने वाला पहला बड़ा त्योहार भी कह सकते हैं. होली का त्योहार होलिका दहन के साथ शुरू होता है, फिर इसके अगले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है. रंग खेलने का यह सिलसिला 5 दिन बाद पड़ने वाली रंग पंचमी तक जारी रहता है. कुछ राज्यों में तो पंचमी के दिन जमकर होली खेली जाती है. होली का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. इस साल होली 18 मार्च 2022 को है.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होली के त्योहार से 8 दिन पहले ही होलाष्टक लग जाते हैं. इस दौरान शादी, विवाह, मुंडन-जनेऊ, गृह प्रवेश जैसे कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं. इस साल 10 मार्च 2022 से होलाष्टक लगेंगे. होलिका दहन होली से एक दिन पहले रात को किया जाता है. इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च 2022, गुरुवार की रात को किया जाएगा. इसके लिए शुभ मुहूर्त रात 09:20 बजे से रात 10:31 बजे तक ही यानी कि करीब सवा घंटे तक ही रहेगा. वहीं इसके अगले दिन यानी कि 18 मार्च 2022, शुक्रवार को होली खेली जाएगी.
होलिका दहन की पूजा विधि
पूजा से पहले शाम को स्नान करें. होलिका पूजा वाले स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. उस जगह पर गाय के गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं रखें. पूजन के लिए फूलों की माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नई गेहूं और अन्य फसलों की बालियां और साथ में एक लोटा जल रख लें. पकवान, मिठाईयां, फल भी अर्पित करें. साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूजा करें. होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करें. इसके बाद चारों ओर से सूखी लकड़ी, उपलों का ढेर लगाकर होलिका दहन करें.
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