धर्म-अध्यात्म

मई के दूसरे सप्‍ताह में है कई महत्‍वपूर्ण व्रत और त्‍योहार, जानें मोहिनी एकादशी का महत्व

Rani Sahu
9 May 2022 6:19 PM GMT
मई के दूसरे सप्‍ताह में है कई महत्‍वपूर्ण व्रत और त्‍योहार, जानें मोहिनी एकादशी का महत्व
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मई के दूसरे सप्‍ताह में कई महत्‍वपूर्ण व्रत और त्‍योहार आने वाले हैं

May Calender Vrat tyohar 2022: मई के दूसरे सप्‍ताह में कई महत्‍वपूर्ण व्रत और त्‍योहार आने वाले हैं. इसमें मोहिनी एकादशी, मासिक दुर्गाष्‍टमी और प्रदोष व्रत जैसे त्‍योहार और महत्‍वपूर्ण दिन आने वाले हैं. इस सप्‍ताह यानी 9 मई से 15 मई 2022 के बीच कौन कौन से त्‍योहार आने वाले हैं,

09 मई, सोमवार: मासिक दुर्गाष्टमी
वैशाख का महीना चल रहा है. 09 मई को वैशाख की मासिक दुर्गाष्टमी है. इस दिन दुर्गा मां की विशेष पूजा करते हैं. दुर्गा अष्‍टमी हर महीने आती है और इस दिन मां दुर्गा के भक्‍त विधिपूर्वक पूजा करते हैं. दुर्गाष्‍टमी हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है.
10 मई, मंगलवार: जानकी जयंती (सीता नवमी)
10 मई को सीता नवमी यानी जानकी जयंती मनाई जाएगी. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन मां सीता का प्रकाट्य हुआ था और इस दिन व‍िध‍िपूर्वक पूजा करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यह दिन वैशाख के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है.
12 मई, गुरुवार: मोहिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी व्रत 12 मई को मनाई जाएगी. भगवान विष्‍णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों का संहार किया था. इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है.
13 मई, शुक्रवार: प्रदोष व्रत
इस महीने शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 13 मई को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है. भगवान श‍िव अपने जातकों को धन, धान्य, पुत्र, आरोग्य, सुख एवं समृद्धि का वरदान देते हैं.
14 मई, शनिवार: नरसिंह जयंती
14 मई को नरसिंह जयंती या नृसिंह जयती मनाई जाएगी. इस बार शन‍िवार को नरसिंह जयंती आ रही है. हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार रूप का पूजन किया जाता है. नरसिंह अवतार लेकर भगवान विष्‍णु ने और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी.
15 मई 2022, रविवार – कूर्म जयंती
भगवान विष्णु के कूर्म अवतार रूप में कूर्म जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष कूर्म जयंती 15 मई 2022 के दिन मनाई जाएगी. हिंदु धार्मिक मान्यता अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने कूर्म(कछुए) का अवतार लिया था और मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण करने समुद्र मंथन में सहायता की थी.
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