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धर्म-अध्यात्म
यूपी के इस मंदिर में जाने से पूरी होती है संतान प्राप्ति की मन्नत
Manish Sahu
8 Sep 2023 3:42 PM GMT
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धर्म अध्यात्म: संतान सुख की कामना हर किसी के मन में होती है. इसके बगैर दांपत्य जीवन सफल नहीं माना जाता है. संतानोत्पत्ति में बाधा उत्पन्न होने से दंपती आहत व परेशान रहते हैं. ऐसे में जिन दंपत्तियों के संतान नहीं होती, उनके द्वारा कई धार्मिक स्थलों पर जाकर मन्नत मांगी जाती है. आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने वाले हैं वो विंध्याचल के पावन धरती का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है. मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर में सच्चे मन से आराधना करने से घर में किलकारियां गूंज उठती हैं. तो चलिए हम भी जानते हैं माता के इस मंदिर और उससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में विस्तार से.
बता दें, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित विंध्यवासिनी धाम आदि काल से शक्ति आराधना और साधना का प्रमुख केंद्र बिंदु रहा है. मां विंध्यवासिनी मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जो अपने आप में अनूठी हैं. लेकिन आज हम आपको षष्ठी माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो विंध्याचल में अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित है. षष्ठी मां, छठी मैया और माता कात्यायनी के नाम से जानी जाती हैं.
मां का यह धाम काफी प्रसिद्ध है, जो कि भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के लिए पूरे क्षेत्र में विख्यात है. मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए यहां अगर कोई दंपति पहुंचता है तो उनकी इच्छा मां षष्ठी जल्द पूर्ण करती है.
विंध्याचल के रहने वाले दीपक मिश्रा ने बताया कि मां की अद्भुत कृपा है. उनको लगभग 7 सालों से संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. वो डॉक्टरों के संपर्क में थे, दवा करवा रहे थे. कुछ रिस्पॉन्स नजर नहीं आ रहा था. षष्ठी मां के दरबार में गए, मन्नत मांगी. जिसके बाद उनको पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई.
वो आगे बताते हैं कि उनकी बहन को भी संतान प्राप्ति को लेकर 13 साल से ज्यादा समय से बाधा थी. लेकिन अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित मां के दरबार में जाने के बाद बहन को साल भर के अंदर ही पुत्र की प्राप्ति हुई.
अध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी नारायण उर्फ मिठ्ठू मिश्र ने बताया कि विंध्य क्षेत्र के पावन धरा पर स्थित मां षष्ठी के कृपा से अनगिनत लोगों के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हुआ है. उन्होंने बताया कि यह मां का धाम विंध्य त्रिकोण के अंतर्गत आता है. विंध्याचल में शायद ही ऐसा परिवार हो मां के चमत्कारिक शक्ति को अनुभूत न किया हो.
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