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धर्म-अध्यात्म
यहां हुआ था महाभारत का युद्ध, जानिए कैसा है ये पांच गांव के हालात
Apurva Srivastav
16 March 2021 5:58 PM GMT
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महाभारत का युद्ध कई कारणों से हुआ था जिसमें सबसे बड़ा कारण भूमि या राज्य बंटवारे को लेकर था।
महाभारत का युद्ध कई कारणों से हुआ था जिसमें सबसे बड़ा कारण भूमि या राज्य बंटवारे को लेकर था। बहुत दिनों की कशमकश के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला तो पांडवों की ओर से शांतिदूत बनाकर श्रीकृष्ण को हस्तिनापुर भेजा। हस्तिनापुर में श्रीकृष्ण ने पांडवों को मात्र पांच गांव दे देने का प्रस्ताव रखा। धृतराष्ट्र ने समझाया कि पुत्र, यदि केवल 5 गांव देने से युद्ध टलता है, तो इससे बेहतर क्या हो सकता है इसलिए अपनी हठ छोड़कर पांडवों से संधि कर लो ताकि ये विनाश टल जाए। दुर्योधन अब गुस्से में आकर बोला कि पिताश्री, मैं एक तिनके की भी भूमि उन पांडवों को नहीं दूंगा और अब फैसला केवल रणभूमि में ही होगा। आओ जानते हैं कि वे पांच गांव कौन से थे और आज उनके हालात क्या हैं।
ये पांच गांव निम्न थे-
श्रीपत (सिही) : कहीं-कहीं श्रीपत और कहीं-कहीं इन्द्रप्रस्थ का उल्लेख मिलता है। मौजूदा समय में दक्षिण दिल्ली के इस इलाके का वर्णन महाभारत में इन्द्रप्रस्थ के रूप में है। दिल्ली में पुराना किला इस बात का सबूत है। खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों की राजधानी इसी स्थल पर रही होगी। यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुड़े अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से 1328 ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख लाल किले के संग्रहालय में मौजूद है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है।
हालांकि सिही या सीही गांव हरियाणा का एक गांव हैं जहां पर कवि सुरदासजी का जन्म हुआ था और जहां पर जनमेजन ने प्रसिद्ध नागयज्ञ किया था। अब
ये गांव आदर्श गांव है।
बागपत : इसे महाभारत काल में व्याघ्रप्रस्थ कहा जाता था। व्याघ्रप्रस्थ यानी बाघों के रहने की जगह। यहां सैकड़ों साल पहले से बाघ पाए जाते रहे हैं। यही जगह मुगलकाल से बागपत के नाम से जाना जाने लगा। यह उत्तरप्रदेश का एक जिला है। बागपत ही वह जगह है, जहां कौरवों ने लाक्षागृह बनवाकर उसमें पांडवों को जलाने की कोशिश की थी। बागपत जिले की आबादी 50 हजार से अधिक है।
सोनीपत : सोनीपत को पहले स्वर्णप्रस्थ कहा जाता था। बाद में यह 'सोनप्रस्थ' होकर सोनीपत हो गया। स्वर्णपथ का मतलब 'सोने का शहर'। वर्तमान में
यह हरियाणा का एक जिला है। इसके अन्य छोटे शहरों में गोहाना, गन्नौर, मुंडलाना, खरखोदा और राई हैं।
पानीपत : पानीपत को पांडुप्रस्थ कहा जाता था। भारतीय इतिहास में यह जगह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां 3 बड़ी लड़ाइयां लड़ी गईं। इसी पानीपत के पास कुरुक्षेत्र है, जहां महाभारत की लड़ाई हुई। पानीपत राजधानी नई दिल्ली से 90 किलोमीटर उत्तर में है। इसे 'सिटी ऑफ वीबर' यानी 'बुनकरों का शहर' भी कहा जाता है।
तिलपत : तिलपत को पहले तिलप्रस्थ कहा जाता था। यह हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है जो यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस कस्बे की आबादी लगभग 40 हजार से अधिक है। सभी 5 हजार से अधिक पक्के मकान है।
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