धर्म-अध्यात्म

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ है बेहद चमत्कारी, आपको होगा सुख और समृद्धि की प्राप्ति

Subhi
3 Jun 2022 2:14 AM GMT
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ है बेहद चमत्कारी, आपको होगा सुख और समृद्धि की प्राप्ति
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हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि यदि देवी लक्ष्मी किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसका जीवन धन धान्य से भर जाता है। आर्थिक तंगी, दरिद्रता व पैसों से संबंधित अन्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है।

हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि यदि देवी लक्ष्मी किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसका जीवन धन धान्य से भर जाता है। आर्थिक तंगी, दरिद्रता व पैसों से संबंधित अन्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है। धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। शुक्रवार के दिन लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दुर्लभ श्री 'अष्टलक्ष्मी स्तोत्र' करना चाहिए। 'अष्टलक्ष्मी स्तोत्र' को बेहद चमत्कारी माना जाता है। प्रत्येक शुक्रवार को श्रद्धापूर्वक इसका पाठ करने से व्यक्ति को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

'अष्टलक्ष्मी स्तोत्र'

आद्य लक्ष्मी

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये,

मुनिगण वंदित मोक्ष प्रदायिनी, मंजुल भाषिणी वेदनुते।

पंकजवासिनी देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, आद्य लक्ष्मी परिपालय माम्।।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ है बेहद चमत्कार

असि कलि कल्मष नाशिनी कामिनी, वैदिक रूपिणी वेदमयी,

क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि, मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते।

मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ है बेहद चमत्कारी

जयवर वर्षिणी वैष्णवी भार्गवी, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्र,

सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते।

भवभयहारिणी पापविमोचिनी, साधु जनाश्रित पादयुते,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।

गजलक्ष्मी

जय जय दुर्गति नाशिनी कामिनी, सर्व फलप्रद शास्त्रीय,

रथ गज तुरग पदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते।

हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणी पादयुते,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम्।।

संतानलक्ष्मी

अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि, राग विवर्धिनि ज्ञानमये,

गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते।

सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम्।।

विजयलक्ष्मी

जय कमलासिनी सद्गति दायिनी, ज्ञान विकासिनी ज्ञानमयो,

अनुदिनम र्चित कुमकुम धूसर, भूषित वसित वाद्यनुते।

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शंकरदेशिक मान्यपदे,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विजयलक्ष्मी परिपालय माम्।।

विद्यालक्ष्मी

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोक विनाशिनी रत्नम,

मणिमय भूषित कर्णभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे।

नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते,

जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्।।

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