धर्म-अध्यात्म

सोमवती अमावस्या की कथा बहुत ही पुण्यदायी होती है.....जानें पूजा विधि

Bhumika Sahu
24 Jan 2022 5:24 AM GMT
सोमवती अमावस्या की कथा बहुत ही पुण्यदायी होती है.....जानें पूजा विधि
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शास्त्रों में सोमवती अमावस्या के बारे में उल्लेख किया गया है. इस दिन पूजा पाठ करने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें पूजा-

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में एक बहुत की खास महत्व होता है. जब भी सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो इसको ही सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) अनन्त फल देने वाली मानी जाती है. शास्त्रों में इस व्रत का खास महत्व बताया गया है. इस दिन गंगा स्नान, दान करना, पूजा पाठ करना फलदायी होता है. महिलाएं घर की सुख शांति और पति और संतान की दीर्घयु के लिए इस व्रत को करती हैं. साल 2022 में पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को होने वाली है. इस बार सोमवती सोमवार, दोपहर 02:18 मिनट मिनट पर शुरू होगी और 1 फरवरी मंगलवार को सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी. इतना ही नहीं माघ मास में पड़ने इस अमावस्या को माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) या मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है..

इस दिन व्रत करना बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है.इस दिन महिलाएं श्रद्धा के साथ व्रत रहकर पीपल की पूजा करती हैं और 108 चीजें दान करके परिक्रमा करती हैं. इस पूजा में कथा पढ़ने का खास महत्व होता है. आइए सोमवती अमावस्या की कथा को जानें-
सोमवती अमावस्या कथा
एक गरीब सुशील ब्राह्मण कन्या थी लेक‍िन धन ना होने से उसका विवाह नहीं हो रहा था. इस पर कन्या के पिता ने एक एक साधु से इसका उपाय पूछा तो उन्‍होंने कहा क‍ि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबी महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. वह संस्कार संपन्न तथा पति परायण है. अगर कन्या उसकी सेवा करें और इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, तो कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है. फिर ब्रह्रामण ने ये बात अपनी पत्नी को बताई.
इसके बाद कन्या रोज धोबिन की बिना बताए सेवा करने लगी. तभी एक दिन धोबिन ने बहू से कहा कि तुम तो सुबह ही सारे कार्य कर लेती हो और पता भी नहीं चलता. फिर बहू कहती है कि मां जी मुझे लगा कि सारे कार्य आप करती हैं सुबह उठकर. ये सुनने के बाद धोबिन ने नजर रखी और देखा कि कन्या आती है और सारा कार्य करके चली जाती है. एक रोज जब वह जाने लगी तो धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं, फिर कन्या से साधु की सारे बात उसको बता दी. दरअसल धोबिन पति परायण थी यही कारण था कि उसमें तेज था.
फिर जैसे ही सोना धोबिन ने अपनी मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसका पति गुजर गया. जब उसको इस बारे में बता लगा तो वह निराजल ही घर छोड़कर चली थी, तभी उसको पीपल का पेड़ मिला.संयोगवश उस दिन सोमवती अमावस्या थी. वहां उसने एक ब्राह्मण के घर मिले पुए- पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया. उसके ऐसा करते ही उसके पति में जान आ गई है. जो इस व्रत को करना है उसको अनन्त फल की प्राप्ति होती है.
फल देगी पीपल की पर‍िक्रमा
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ को भंवरी देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. इसके अलावा इस दिन को दान करना चाहिए साथ ही, सूत से 108 पीपल की परिक्रमा लगानी चाहिए.


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