धर्म-अध्यात्म

Kharmas में मंद पड़ जाती है भगवान सूर्य की गति, जानें पौराणिक कथा

Tara Tandi
16 Dec 2024 10:51 AM GMT
Kharmas में मंद पड़ जाती है भगवान सूर्य की गति, जानें पौराणिक कथा
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Kharmas ज्योतिष न्यूज : सनातन धर्म में खरमास के दिनों को बहुत ही खास माना जाता है जो कि साल में दो बार लगता है। इस दौरान कई सारे नियमों का पालन भी करना होता है। साल का पहला खरमास जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है और दूसरा जब सूर्य मीन में प्रवेश करता है तब यानी मीन संक्रांति के समय लगता है। खरमास की अवधि कुल मिलाकर एक माह की होती है इस दौरान किसी भी तरह का शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है इस बार खरमास का आरंभ 15 दिसंबर से हो चुका है जो कि 14 जनवरी को समाप्त हो जाएगा। तो आज हम आपको खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बता रहे हैं तो
आइए जानते हैं।
खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा—
कथा के अनुसार एक बार सूर्य देव अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे. लेकिन एक लेकिन उनके घोड़ों को आराम की जरूरत होती है. वे भूख प्यास लगने से थक जाते हैं. इस तरह ब्रह्मांड की परिक्रमा के दौरान घोड़ों की दयनीय दशा देखकर सूर्य देव को भी तरस आ गया और उन्होंने सोचा कि क्यों ना इन्हें पानी पिला दिया जाए और थोड़ा आराम कर लिया जाए लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि रथ रूक गया तो सृष्टि चक्र प्रभावित होगा.
इस दौरान उनकी नजर तालाब किनारे चर रहे दो खर पर पड़ी. सूर्य देव ने सोचा कि क्यों ना घोड़ों को विश्राम के लिए छोड़ दिया जाए और रथ में इन खरों यानी गधों को बांधकर परिक्रमा की जाए. सूर्य देव ने ऐसा ही किया और गधों को रथ में बांध लिया. अब गधे घोड़ों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं, वो पूरे खरमास में परिक्रमा तो लगाते रहे लेकिन उनकी स्पीड बहुत कम हो गई. रथ की गति कम होने के कारण ही सूर्य देव का तेज भी कमजोर हो गया. यही कारण है कि खरमास के दौरान धरती पर सूर्य देव का वो तेज प्रकट नहीं हो पाता जो बाकी महीनों में होता है. इसके बाद मकर संक्रांति आते ही मौसम बदलता है और फिर से वही ऊर्जावान सूर्य देव धरती पर प्रकट होते हैं.
इसका कारण है कि मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव ने उन खरों को वापस तालाब के किनारे छोड़ा था और अपने घोड़ों को वापस रथ में शामिल कर फिर से अपनी रफ्तार पकड़ी थी. इसका असर यह हुआ कि खर की धीमी गति के कारण सूर्य देव की परिक्रमा की गति धीमी हो गई.
किसी तरह एक माह का चक्र पूरा हुआ. इस बीच धीमी गति से सूर्यदेव ने परिक्रमा का काम पूरा किया. तब तक घोड़ों ने आराम कर लिया था. हर सौर वर्ष में इसी तरह का चक्र चलता रहता है और इस बीच एक माह का खरमास आता है. माना जाता है जिस महीने सूर्य देव प्रभावित हुए, उस महीने का खराब असर मनुष्य के जीवन पर भी पड़ेगा.
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