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भगवद गीता के इन 10 उपदेशों में छिपा है सुखी जीवन का राज, आपको जरूर पता होनी चाहिए ये बातें
जो लोग केवल कर्म के फल की इच्छा से प्रेरित होते हैं वे दुखी होते हैं, क्योंकि वे जो करते हैं उसके परिणाम के बारे में लगातार चिंतित रहते हैं. भगवद गीता में कहा गया है कि मनुष्य को हमेशा अपना कर्म करना चाहिए.
निःस्वार्थ सेवा से आप सदैव फलदायी रहेंगे और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति पाएंगे. भगवद गीता में कहा गया है कि मनुष्ट को निःस्वार्थ रूप से सेवा करनी चाहिए. इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
भगवद गीता में कहा गया है कि मनुष्य को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. इससे आप कभी निराश नहीं होंगे और परेशानी के समय शांत दिमाग से हर समस्याओं का हल निकाल सकेंगे.
भगवद गीता में बताया गया है कि काम, क्रोध और लोभ तीन प्रकार के नरक के द्वार हैं, जो मनुष्य इनको अपनाता है उसका नाश होता है. इसलिए मनुष्य को हमेशा काम, क्रोध और लोभ से दूर रहना चाहिए.
भगवद गीता के अनुसार, जिस मनुष्य की दिनचर्या और खानपान संतुलित है और जो अनुशासन में रहता है. ऐसे लोग दुखों और रोगों से दूर रहते हैं. इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिर्फ सात्विक चीजें खानी चाहिए.
भगवद गीता में कहा गया है कि अगर जिस मनुष्य के अंदर जिज्ञासा है, उसे ही ज्ञान की प्राप्ति होती है. किसी जानकार व्यक्ति से पूछेंगे नहीं, तब तक वे कुछ बताएंगे नहीं. शास्त्रों में लिखी बातें, गुरु की बातें और अपने अनुभव में तालमेल बनाएंगे तभी ज्ञान हासिल कर पाएंगे.
भगवद गीता के अनुसार, मनुष्य को हमेशा अपनी पसंद और स्वभाव को ध्यान में रखकर काम का चयन करना चाहिए. इसलिए आप हमेशा वहीं काम करें, जिसमें आपको खुशी मिलती है. इसके साथ ही