धर्म-अध्यात्म

शाम की पूजा के नियम सुबह की पूजा से होते हैं अलग, यहां जानें सही नियम

Renuka Sahu
19 May 2022 3:52 AM GMT
The rules of evening worship are different from morning worship, know the right rules here
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फाइल फोटो 

हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व बताया गया है. पूजा करने से ​न सिर्फ मन को शांति मिलती है, बल्कि आसपास की नकारात्मकता भी समाप्त होती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में पूजा पाठ का विशेष महत्व बताया गया है. पूजा करने से ​न सिर्फ मन को शांति मिलती है, बल्कि आसपास की नकारात्मकता भी समाप्त होती है. आमतौर पर मंदिरों में या घरों में सुबह और शाम दो वक्त पूजा करना जरूरी बताया गया है. माना जाता है कि सुबह के समय सभी दैवीय शक्तियां बलवान होती हैं, इसलिए सूर्योदय के बाद जितनी जल्दी सुबह की पूजा की जाए, उतना ही बेहतर होता है. वहीं शाम की पूजा हमेशा सूर्यास्त होने के बाद और रात का अंधेरा होने से पहले करनी चाहिए. इस बेला को संध्याकाल कहा जाता है. संध्याकाल में भी पूजन करना बेहद फलदायी माना गया है, लेकिन इस पूजा के नियम सुबह की पूजा के नियमों से अलग होते हैं, जानिए शाम की पूजा के नियमों के बारे में.

शाम की पूजा के नियम
– शाम के समय पूजा करते समय आप पुष्प भगवान पर अर्पित तो कर सकते हैं, लेकिन पुष्पों को तोड़ नहीं सकते. अगर आप भगवान को फूल अर्पित करना चाहते हैं तो इन्हें सूरज ढलने से पहले ही तोड़कर रख लें.
– नारायण की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन अगर आप उन्हें तुलसी अर्पित करना चाहते हैं तो तुलसी के पत्ते को सुबह से ही तोड़कर रख लें. शाम के समय आप तुलसी की पूजा कर सकते हैं, लेकिन तोड़ नहीं सकते.
– सुबह की तरह ही शाम की पूजा में भी दीपक जरूर प्रज्जवलित करना चाहिए. दीपक जलाने से वहां की नकारात्मकता दूर होती है. इसके अलावा एक दीपक तुलसी के नीचे भी रखना चाहिए. माना जाता है कि इससे तमाम समस्याएं दूर होती हैं और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
– अगर आप सूर्य देव के किसी मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो वो दिन के समय ही करें. सर्यास्त के बाद नहीं करें. सूर्य देवता को दिन का देवता माना गया गया है. सूर्योदय के बाद जितनी जल्दी आप सूर्य देवता की पूजा करेंगे, आपके लिए वो पूजा उतनी ज्यादा फलदायी होगी.
– गायत्री मंत्र को लेकर भी कहा जाता है कि इसका जाप सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए. रात्रि के समय इस मंत्र का जाप वर्जित बताया गया है. अगर आप इसका जाप करना ही चाहते हैं, तो मानसिक जाप करें, रात के समय जोर जोर से उच्चारण करके इस मंत्र का जाप न करें.
– शाम की आरती भी घंटी और घंटे बजाकर ही करनी चाहिए और भोग लगाना चाहिए. लेकिन आरती करने के कुछ समय बाद जब दीपक शांत हो जाए, उसके बाद पूजा के स्थान से चढ़े हुए फूल और फूलमाला वगैरह हटा देना चाहिए. साथ ही मंदिर का पर्दा डालकर व पट बंद करके भगवान को सुला देना चाहिए. एक बार मंदिर के पट बंद होने के बाद इन्हें सुबह ही खोलना चाहिए.
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