धर्म-अध्यात्म

श्रीकृष्ण की रानी को हुआ अपनी सुंदरता पर घमंड, द्वारकाधीश ने सत्यभामा को ऐसे सिखाया सबक

Shiddhant Shriwas
20 May 2022 6:55 PM GMT
श्रीकृष्ण की रानी को हुआ अपनी सुंदरता पर घमंड, द्वारकाधीश ने सत्यभामा को ऐसे सिखाया सबक
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने भगवान विष्णु के अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था। कृष्ण ने अपने मानव जीवन में कई लोगों का घमंड चकनाचूर किया था। इससे उनकी पत्नी भी वंचित नहीं है। पौराणिक कथाओं में श्रीकृष्ण की आठ पत्नियों का जिक्र है, इनमें से एक थीं सत्यभामा। सत्यभामा को एक बार अपनी सुंदरता पर घमंड हो गया। इस कथा में पढ़ें कि कैसे कृष्ण ने अपनी ही रानी का घमंड चकनाचूर किया।

एक बार श्रीकृष्ण द्वारका नगरी में अपने महल के अंदर सिंहासन पर बैठे थे। तभी उनकी रानी सत्यभामा आईं और कृष्ण से कहा कि आपने त्रेतायुग में श्रीराम का अवतार लिया था। उस समय आपकी पत्नी सीता थीं। क्या वह मुझसे भी सुंदर थीं? श्रीकृष्ण को समझ आ गया कि सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर घमंड हो गया है। उन्होंने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया। वहां, पर गरुड़ और सुदर्शन चक्र भी मौजूद थे।
तभी गरुड़ ने भी अभिमान के स्वर में कहा कि प्रभु इस संसार में मुझसे ज्यादा गतिमान कोई है क्या? सुदर्शन चक्र ने भी अपने अंदर के अभिमानी रूप को जगाया और कृष्ण से कह दिया कि इस संसार में मुझसे ज्यादा ताकतवर कोई है क्या?
कृष्ण को समझ आ गया कि इन तीनों को अभिमान हो गया है। इन्हें सबक सिखाने के लिए कुछ करना पड़ेगा। तभी श्रीकृष्ण को एक युक्ति सुझी। उन्होंने गरुड़ से कहा कि तुम श्रीराम के परम भक्त हनुमान के पास जाओ और कहना कि प्रभु श्रीराम और मां सीता यहां उनका इंतजार कर रहे हैं।
श्रीकृष्ण की आज्ञा पाते ही फौरन गरुड़ हनुमान को लेने चले गए। तभी कृष्ण ने अपनी रानी सत्यभामा से कहा कि वह सीता की तरह तैयार हो जाएं। इसके बाद कृष्ण ने राम का रूप धारण कर दिया। सत्यभामा और कृष्ण, सीता और राम बनकर दरबार में बैठ गए। उन्होंने सुदर्शन चक्र से कहा कि तुम द्वारपाल बनकर खड़े हो जाओ और अंदर किसी को मत आने देना।उधर गरुड़
हनुमान के पास पहुंचे। उन्होंने हनुमानजी से कहा कि द्वारिका नगरी में प्रभु श्रीराम और मां सीता उनका इंतजार कर रहे हैं। आपको बुलावा भेजा है। आप मेरी पीठ पर बैठ जाइए,मैं आपको ले चलूंगा। हनुमान ने गरुड़ से चलने के लिए कहा और बोला कि वह खुद वहां पहुंच जाएंगे। गरुड़ को लगा कि एक वानर मुझसे तेज कैसे चल पाएगा। इसलिए वह हनुमान को वहीं छोड़कर उड़ गए।
जैसे ही गरुड़ द्वारिका नगरी पहुंचे, तो वहां का नजारा देखकर दंग रह गए। हनुमान पहले ही दरबार में पहुंच चुके थे। गरुड़ को अपनी गति पर जो अभिमान था वह चकनाचूर हो गया। उन्हें लग गया कि वह संसार में सबसे तेज प्राणी नहीं हैं। वहीं, जब राम का रूप धारण किए हुए कृष्ण ने हनुमान से पूछा कि द्वार पर तुम्हें किसी ने रोका नहीं, तो वे बोले कि सुदर्शन चक्र ने मुझे रोका था लेकिन मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया और अंदर आ गया। इस तरह सुदर्शन चक्र का घमंड भी टूट गया कि वह सबसे शक्तिशाली नहीं है।
तब हनुमान की नजर सीता के रूप में बैठी सत्यभामा पर पड़ी। हनुमान ने पूछ लिया कि प्रभु सबकुछ तो ठीक है लेकिन आपके साथ ये दासी कौन बैठी है। यह बात सुनकर सत्यभामा का मुंह भी उतर गया। उन्हें भी अपनी सुंदरता पर घमंड नहीं रहा। इस तरह कृष्ण ने एक युक्ति से तीनों का घमंड चकनाचूर कर दिया।



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