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धर्म-अध्यात्म
संतान की समस्या होती है दूर, ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा
Tulsi Rao
6 April 2022 2:46 PM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Skanda Sashti Vrat 2022: चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. भगवान कार्तिकेय का एक अन्य नाम स्कंद भी है, इसलिए इस व्रत को स्कंद षष्ठी का नाम दिया गया है. इसके अलावा इस व्रत को संतान षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है. इस साल स्कंद षष्ठी का व्रत 7 अप्रैल को रखा जाएगा. परिवार में सुख-शांति और संतान प्राप्ति के लिए भी स्कंद षष्ठी का व्रत खास है. आइए जानते हैं संतान षष्ठी व्रत के बारे में.
स्कंद षष्ठी व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि की शुरुआत 6 अप्रैल शाम 6 बजकर 4 मिनट से हो रही है. वहीं षष्ठी तिथि का समापन 7 अप्रैल शाम 8 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदया तिथि होने के कारण स्कंद षष्ठी के निमित्त व्रत 7 अप्रैल को रखा जाएगा.
स्कंद षष्ठी व्रत की विधि
इस दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान कर लें. इसके बाद भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए संकल्प करें. फिर पूजा स्थल पर विधिवत मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा करें. इनकी पूजा के दौरान इन्हें सबसे पहले जल अर्पित करें. इसके बाद फूल, माला, फल आदि अर्पित करें. फिर अपनी श्रद्धा के मुताबिक भोग लगाएं. अंत में धूप, दीप दिखाकर मंत्र का जाप करें.
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तुते
विशेष उपाय
अगर संतान से संबंधित कोई समस्या हो या करियर में मनचाही सफलता नहीं मिल पा रही हो तो कार्तिकेय की पूजा में उन्हें मोर पंख चढ़ाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से संतान और करियर से जुड़ी समस्या का समाधान मिल जाता है.
परिवार में सुख-शांति के लिए भी स्कंद षष्ठी खास है. मान्यता है कि इस दिन शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती को नारियल अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति कायम रहती है.
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