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इन दो चीजों से दूर रहने वाले व्यक्ति को हमेशा मिलती है सुखी और शांति...बस जान लें चाणक्य की ये बातें
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सुखी रहने के लिए संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती है. सुखी रहने के लिए सकारात्मक सोच और अच्छे विचारों का होना बहुत जरूरी है. व्यक्ति जब तक लालच और निंदारस में डूबा रहेगा, तब तक उसे सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है. इसलिए व्यक्ति को इन दों अवगुणों से दूर ही रहना चाहिए.
लालच से दूर रहकर ही सच्चा सुख प्राप्त होता है
चाणक्य के अनुसार लालच एक बीमारी के समान है. लालच व्यक्ति को सदैव परेशान करता है, उसे चैन से नहीं बैठने देता है. लालच के कारण ही व्यक्ति गलत मार्गों पर चलने लगता है जिससे उसके जीवन की शांति नष्ट हो जाती है. लालच एक ऐसा रोग है जो एक बार लग जाए तो आसानी से नहीं जाता है. लालच व्यक्ति की बर्बादी का एक प्रमुख कारण भी है. लोभ के कारण व्यक्ति के जीवन में संतुष्ठी का भाव समाप्त हो जाता है और हर दिन नए लक्ष्यों को निर्धारित कर उन्हें प्राप्त करने के लिए भागता रहता है. जिससे उसके जीवन का आनंद समाप्त हो जाता है. इसलिए लालच से व्यक्ति को दूर ही रहना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को दूसरों की बुराई करने से बचना चाहिए. बुराई भी एक प्रकार का रोग है. यह रोग व्यक्ति की प्रतिष्ठा और योग्यता का नाश करता है. दूसरे व्यक्ति की बुराई करना एक गलत आदत है, बुराई करने वाले व्यक्ति को अवगुण बहुत जल्दी घेर लेते हैं. बुराई करने वाले लोगों को समाज में सम्मान प्राप्त नहीं होता है. बुराई व्यक्ति को नकारात्मक सोच प्रदान करती है जिसके कारण व्यक्ति को आगे बढ़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. चाणक्य के अनुसार बुराई नहीं बल्कि सामने वाले की अच्छी चीजों के बारे में विचार करना चाहिए. बुराई देखने से बुराई आती है. इसलिए बुराई से दूर ही रहें.