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एकमात्र मंदिर जहां इस भगवान संग विराजते हैं श्री कृष्ण, जानें मंदिर का इतिहास
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश में वैसे तो कई देवी-देवताओं के मंदिर है जिनका इतिहास बहुत पुराना है. लेकिन हिमाचल के नूरपुर के प्राचीन किला मैदान में स्थित भगवान श्री बृजराज स्वामी जी का यह मंदिर बेहद की खास है. पूरे विश्व में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां श्री कृष्ण की मूर्ती राधा जी के साथ नहीं बल्कि मीरा बाई के साथ स्थापित है. ये दोनों मूर्तियां इतनी अलौकिक और आकर्षक है कि जिनके दर्शन मात्र से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. मूर्तियां ऐसी बनी हैं मानों जैसे स्वयं भगवान श्री कृष्ण आप के समक्ष खड़े हों. जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर की अलौकिकता और बढ़ जाती है.
मंदिर का इतिहास
ये बात है 1629 से 1623 ई. जब चितौडग़ढ के राजा के निमंत्रण पर नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ वहां पहुंचे. जिस महल में राजा जगत सिंह व उनके पुरोहितों को रात्रि विश्राम के लिए ठहराया गया था, उसके बगल में एक मंदिर था. रात में राजा को उस मंदिर से घुंघरूओं तथा संगीत की आवाजें सुनाई दी. जब उन्होंने महल की खिड़की से बाहर झांका तो मंदिर में एक औरत कमरे में श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने भजन गाते हुए नाच रही थी. उस मंदिर में श्री कृष्ण व मीरा की मूर्तियां साक्षात थी. जब नूरपुर के राजा ने पूरी बात अपने पुरोहितों को बताई तो वापसी के वक्त उन्होंने इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लिया. चितौडग़ढ़ के राजा ने उन्हें प्रसन्नता के साथ मूर्तियां भेंट कर दी. इसके बाद नूरपुर के राजा ने अपने दरबार को मंदिर में बदल कर वहां इन दोनों मूर्तियों को स्थापित कर दी.
मंदिर में आते हैं श्री कृष्ण
मान्यता है कि इस मंदिर में हर रात भगवान श्री कृष्ण आते हैं. इसलिए रोजना इस मंदिर में पूजा-पाठ होता है और रात के समय मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं. मंदिर बंद करने से पहले मूर्तियों के समक्ष शयनासन, चरण पादुकाएं व एक गिलास पानी से भरा रखा जाता है. सुबह जब मंदिर का दरवाजा खोला जाता है तो शयनासन पर सिलवटों होती हैं और पानी की गिलास गिरा होता है. माना जाता है कि रात में श्रीकृष्ण व मीराबाई यहां विश्राम करते हैं.