धर्म-अध्यात्म

1 दिसंबर से शुरू हो रहा है नया हिन्दी माह अगहन, जिसमें है रोज़ाना नदी स्नान का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व

Nilmani Pal
30 Nov 2020 12:57 PM GMT
1 दिसंबर से शुरू हो रहा है नया हिन्दी माह अगहन, जिसमें है रोज़ाना नदी स्नान का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व
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इस माह का वातावरण स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा रहता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंगलवार, 1 दिसंबर से नया हिन्दी माह अगहन शुरू हो रहा है। इस माह में रोज सुबह पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। ये माह 30 दिसंबर तक रहेगा। अगहन मास में नदी स्नान का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगहन मास में ध्यान रखे गए नियमों से शरीर को स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। मौसमी बीमारियों से रक्षा होती है। इस माह का वातावरण स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा रहता है। वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है। इस ऋतु में आसमान साफ हो जाता है और सूर्य की किरणें सीधे हम तक पहुंचती हैं। बारिश की वजह से वातावरण में फैली नमी सूर्य की रोशनी से खत्म हो जाती है।
सूर्य की पर्याप्त रोशनी से शरीर को भी स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। अगहन मास में सुबह नदी स्नान करने का विशेष महत्व है। सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं।
अगहन मास में शंख पूजा करने की परंपरा
इस महीने में शंख पूजा करने की परंपरा है। साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख की तरह मानकर उसकी पूजा की जाती है। शंख पूजा में इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

लक्ष्मी पूजा में शंख रखने का है विशेष महत्व
शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है। इसी वजह से लक्ष्मी पूजा में शंख को भी विशेष रूप से रखते हैं। लक्ष्मीजी के साथ ही शंख की पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन से शंख भी प्रकट हुआ था।

अगहन मास में देर तक सोने से बचें
इस माह में सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करने की परंपरा है। अगर किसी नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो अपने घर में ही नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए। आप चाहें तो पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। ऐसे स्नान करने से घर पर ही तीर्थ स्नान के समान पुण्य प्राप्त हो सकता है।
इस माह में घर में क्लेश नहीं करना चाहिए। नशा न करें। माता-पिता का अनादर न करें और अपने काम ईमानदारी से करें। इन बातों का ध्यान रखने पर घर में सुख-शांति बनी रहती है।


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