धर्म-अध्यात्म

चंद्रमा की किरणों से बरसता है अमृत, जानिए क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व

Triveni
8 Oct 2020 7:26 AM GMT
चंद्रमा की किरणों से बरसता है अमृत, जानिए क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व
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अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं में पूर्ण होता है|
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं में पूर्ण होता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा कि किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन की चांदनी सबसे ज्यादा तेज प्रकाश वाली होती है। इतना ही देवी और देवताओं को सबसे ज्यादा प्रिय पुष्प ब्रह्म कमल भी शरद पूर्णिमा की रात को ही खिलता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान कई गुना फल देते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री से जानते हैं कि शरद पूर्णिमा का महत्व क्या होता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व:

इस कारण से शरद पुर्णिमा के दिन कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के बेहद पास होता है। जिसकी वजह से चंद्रमा से जो रासायनिक तत्व धरती पर गिरते हैं वह काफी सकारात्मक होते हैं और जो भी इसे ग्रहण करता है उसके अंदर सकारात्मकता बढ़ जाती है। शरद पूर्णिमा को कामुदी महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी विचरण करती हैं। इसकी वजह से शरद पूर्णिमा को बंगाल में कोजागरा भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है।

कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की चांदनी में अगर खीर रखी जाए और उसे खाया जाए व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है औ इससे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता भी मिलती है। इससे श्वांस के रोगियों को इससे फायदा होता है। इससे आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है। कहा जाता है कि इस पूर्णिमा के बाद से ही हेमंत ऋतु शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे सर्दी का मौसम भी शुरू होने लगता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

अश्विन पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त:

पूर्णिमा आरम्भ: अक्टूबर 30, 2020 को 17:47:55 से

पूर्णिमा समाप्त: अक्टूबर 31, 2020 को 20:21:07 पर


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