धर्म-अध्यात्म

इन राशियों के लिए रहेगा चुनौतियों से भरा होगा अगस्त का महीना, अपनाएं ये उपाए, कम होगी परेशानी

Gulabi
30 July 2021 5:07 PM GMT
इन राशियों के लिए रहेगा चुनौतियों से भरा होगा अगस्त का महीना, अपनाएं ये उपाए, कम होगी परेशानी
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चुनौतियों से भरा होगा अगस्त का महीना

कुछ ही दिनों बाद अगस्त का महीना शुरू होने जा रहा है। अगस्त का महीना कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है तो कुछ राशियों को विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। अगस्त के महीने में बुध, सूर्य और शुक्र राशि परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष में राशि परिवर्तन को महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों के राशि परिवर्तन का सभी राशियों पर शुभ- अशुभ प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं अगस्त का महीना किन राशियों के लिए चुनौतियों से भरा रहने वाला है।

अगस्त का महीना इन राशियों के लिए रहेगा चुनौतियों से भरा-

मेष
वृष
कन्या
तुला
इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है-
धन- हानि हो सकती है।
परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव हो सकता है।
कार्यों में सफलता के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी।
अगस्त के महीने में सावधान रहें।
रोजाना करें ये उपाय-

हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी तरह के दुख- दर्द दूर हो जाते हैं। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। हनुमान जी की कृपा से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हर व्यक्ति को रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

श्री हनुमान चालीसा

दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।


चौपाई :


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।


रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।


महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।


कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।।


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।


संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन।।


विद्यावान गुनी अति चातुर।


राम काज करिबे को आतुर।।


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।


लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।


जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।


तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना।।


जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।


जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।


दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।


राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।


सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना।।


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।


भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।


संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।


और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।।


चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।


साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।


राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।


तुम्हरे भजन राम जी को पावै।

जन्म-जन्म के दुख बिसरावै।।


अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।


संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।


जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।


जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।।


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।


दोहा :


पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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