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आषाढ़ मास आरंभ, इस महीने में सूर्य पूजा से दूर होती हैं परेशानियां

Subhi
20 Jun 2022 2:55 AM GMT
आषाढ़ मास आरंभ, इस महीने में सूर्य पूजा से दूर होती हैं परेशानियां
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हिंदी कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ है। 15 जून से आषाढ़ मास की शुरुआत हो चुकी है। आगामी 13 जुलाई को आषाढ़ खत्म हो जाएगा और सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाएगा।

हिंदी कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ है। 15 जून से आषाढ़ मास की शुरुआत हो चुकी है। आगामी 13 जुलाई को आषाढ़ खत्म हो जाएगा और सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाएगा। आषाढ़ के महीने में कई व्रत-त्योहार पड़ते हैं। जिनमें से देवशयनी एकादशी प्रमुख है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस महीने में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस महीने गुप्त नवरात्रि और जगन्नाथ रथयात्रा जैसे प्रमुख त्योहार भी मनाए जाते हैं। स्कंद पुराण के मुताबिक इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से सभी तरह की बीमारियां दूर होती हैं और साथ ही उम्र भी बढ़ती है। भविष्य पुराण के अनुसार, आषाढ़ मास सूर्य को जल चढ़ाने से दुश्मनों पर जीत मिलती है। आइए जानते हैं आषाढ़ मास में सूर्य देव की आराधना से क्या लाभ मिलते हैं।

आषाढ़ मास में सूर्य पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में आषाढ़ के महीने में सूर्य पूजा का खास महत्त्व बताया गया है. कहा जाता है कि आषाढ़ माह में रविवार को सूर्य देव की पूजा करने से भक्तों को अपनी ही तरह तेज और सकारात्मक शक्ति प्रदान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव को जल अर्पित करने, मंत्रों का जाप करने और सूर्य को नमस्कार करने से बल, बुद्धि, ज्ञान, वैभव और पराक्रम की प्राप्ति होती है। सूर्य देव की पूजा करने से किसी भी ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।

आषाढ़ मास में सूर्य पूजा के लाभ

आषाढ़ मास में सूर्य पूजा के बहुत लाभ हैं। भविष्य पुराण में भी श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। श्रीकृष्ण के अनुसार सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं, यानी ऐसे ईश जिन्हें देखा जा सकता है। श्रद्धा के साथ आषाढ़ मास में रोज सूर्य पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ महीने में सूर्योदय से पहले नहाकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने के साथ ही पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं और शरीर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है।

इस विधि से दें सूर्य को अर्घ्य

रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल डालकर घर पर ही स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं।

तांबे के लोटे में जल भरें और चावल, लाल फूल, कुमकुम डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

जल चढ़ाते समय सूर्य के वरुण रूप को प्रणाम करते हुए ऊं रवये नम: मंत्र का जाप करें।

इस मंत्र के जाप से शुद्ध बुद्धि, अच्छी सेहत और सम्मान मिलता है।

इस प्रकार जल चढ़ाने के बाद धूप, दीप से सूर्यदेव की पूजा करें।

सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन का दान करें।


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