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धर्म-अध्यात्म
रातों रात बदल गया था मुख्य दरवाजा, द्वापर युग से है इस मंदिर का संबंध
Tulsi Rao
12 Dec 2021 10:26 AM GMT
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भगवान सूर्य कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही ऐसे हैं जहां से जुड़े कुछ चमत्कारी घटना आज भी लोगों की जुबान पर हैं. ऐसा ही एक चमत्कारी सूर्य मंदिर बिहार के औरंगाबाद में है. इस मंदिर का संबंध द्वापर युग से है. कहते हैं कि इस मंदिर को खुद विश्वकर्मा जी ने बनाया था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान सूर्य कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही ऐसे हैं जहां से जुड़े कुछ चमत्कारी घटना आज भी लोगों की जुबान पर हैं. ऐसा ही एक चमत्कारी सूर्य मंदिर बिहार के औरंगाबाद में है. इस मंदिर का संबंध द्वापर युग से है. कहते हैं कि इस मंदिर को खुद विश्वकर्मा जी ने बनाया था. भगवान सूर्य के इस मंदिर को देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से भी लोग जानते हैं. आगे जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी खास बातें.
द्वापर युग में विश्वकर्मा ने बनाया था मंदिर
इस सूर्य मंदिर का निर्माण द्वापर युग में हुआ था. कहते हैं कि इस मंदिर को खुद विश्वकर्मा जी ने बनाया था. यही कारण है कि इस मंदिर को देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से पुकारा जाता है. इसके अलावा कुछ पुराणों में भी इस सूर्य मंदिक का उल्लेख मिलता है. जिसके मुताबिक यह मंदिर द्वापर युग के मध्यकाल में बना था. साथ ही यह मंदिर देश के प्रसिद्ध तीन सूर्य मंदिरों में से एक है. कोणार्क और लोलार्क सूर्य के बाद इस मंदिर को ही सूर्य मंदिर के तैर पर ख्याति प्राप्त है.
मंदिर में है सूर्य की अद्भुत मूर्ति
इस मंदिर में सूर्य देव की त्रिमूर्ति प्रतिमा विराजमान हैं. इसमें सूर्य सात रथों पर सवार हैं. माना जाता है कि सूर्यदेव की ये तीन मूर्तियां सूर्य के उदय, मध्य और अस्ताचल स्वरूप की हैं. इसके अलावा इस मंदिर परिसर में भगवान शिव और माता पार्वती की भी प्रतिमाएं हैं. जो बिलकुल अलग हैं. साथ ही इस मंदिर में भगवान शिव की जांघ पर माता पार्वती को विराजमान हैं.
रातों रात बदल गया था मु्ख्य दरवाजा
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जब औरंगजेब देव सूर्य मंदिर को तोड़ने आया था जब लोग मंदिर के बाहर इकट्टा हो गए. फिर लोगों ने औरंगजेब से मंदिर न तोड़ने को कहा. लेकिन वह नहीं माना और कहा कि यदि देवता का मुख्य द्वार रात भर में पूरब से पश्चिम हो जाए तो वह मंदिर नहीं तोड़ेगा. कहते हैं कि अगली सुबह मंदिर का मु्ख्य द्वार पश्चिम की ओर हो गया.
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