धर्म-अध्यात्म

बद्रीधाम से जुड़ती कथा है 'लीलाढुंगी' की, जहां भगवान नारायण ने की थी लीला

Manish Sahu
15 Aug 2023 7:05 PM GMT
बद्रीधाम से जुड़ती कथा है लीलाढुंगी की, जहां भगवान नारायण ने की थी लीला
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धर्म अध्यात्म: उत्तराखंड के चमोली के बद्रीनाथ धाम के अलावा बेहद अलग-अलग स्थान हैं, जिनसे जुड़े बेहद खास और रोचक किस्से, कहानियां, किवदंतियां हैं. इन्हें जानने से धाम के बारे में और अधिक जानकारियां मिल जाती हैं. इन्हीं में से एक है बामणी गांव स्थित लीलाढुंगी. गढ़वाली में (ढुंगा) पत्थर को कहते हैं, यानी वह पत्थर जहां भगवान ने लीला की हो. चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम से महज 300 मीटर की दूरी पर एक मंदिर स्थित है जिसे लीलाढुंगी कहते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, संपूर्ण केदारखंड पर शिव का आधिपत्य था. एक बार जब नारायण (विष्णु) बद्री धाम आए, तो उन्हें बद्रीनाथ धाम बहुत भाया और उनका मन हुआ कि वे यहीं रह जाएं. लेकिन बद्री क्षेत्र में कोई स्थान खाली नहीं था. इसलिए उन्होंने एक योजना बनाई. वह बामणी गांव में एक पत्थर शिला में जाकर (लीलाढूंगी) बाल रूप धारण कर भगवान शिव और माता पार्वती के द्वार के सामने रोने लगे. उस समय माता पार्वती और भगवान शिव स्नान के लिए बद्रीनाथ मंदिर स्थित तप्त कुंड में स्नान के लिए जाने की तैयारी कर रहे थे. पार्वती ने उस रोते हुए नन्हे से बालक को देख उन्हें अपनी ममता की छांव दी.
हालांकि भगवान शिव ने उन्हें मना भी किया लेकिन माता नहीं मानीं और बालक को अंदर ले जाकर वहां पर सुलाकर शिवजी के साथ स्नान के लिए चली गईं. उनके जाने के बाद नारायण ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और जब स्नान कर माता और भगवान शिव लौटे, तो अंदर से दरवाजा नहीं खुला. तो वे अन्यत्र (केदारनाथ धाम) चले गए और अपने अंश रूप में वे यहां पर बने रहे. इस क्षेत्र के बारे में केदारखंड में भी वर्णित है. हालांकि यह एकमात्र दंतकथा है, जो सदियों से चली आ रही है.
पूर्व धर्माधिकारी भुवन उनियाल बताते हैं कि भगवान शिव माता उमा के साथ केदारखंड में विराजित थे और जब भगवान नारायण तिब्बत से भागकर बद्री क्षेत्र में आए तो ऋषिगंगा के पास बामणी गांव में एक सुंदर सा पत्थर है जिसे लीलाढुंगी कहते हैं, जहां पर भगवान विष्णु ने बच्चे का रूप धारण कर उस स्थान पर लीला की. जिसके बाद से उस स्थान का नाम लीलाढूंगी कहा जाने लगा. और आज भी जब श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम आते हैं तो बामणी गांव स्थित लीलाढूंगी के दर्शन करने अवश्य जाते हैं.
बद्रीनाथ धाम तक सड़क सुविधा उपलब्ध है. और धाम से महज कुछ दूरी पैदल चलकर लीलाढुंगी में पहुंचा जाता है. अगर आप बाय एयर यहां जाना चाहते हैं तो निकटतम हेलीपैड गौचर है. बाय ट्रेन निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश/देहरादून हैं.
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