धर्म-अध्यात्म

पवित्र पीपल के पेड़ पर होता है देवताओं का वास, इसकी पूजा से पूरी होती है मनोकामना

Gulabi
26 Aug 2021 3:57 PM GMT
पवित्र पीपल के पेड़ पर होता है देवताओं का वास, इसकी पूजा से पूरी होती है मनोकामना
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पवित्र पीपल के पेड़ पर होता है देवताओं का वास

सनातन परंपरा में पेड़ों को ईश्वर का दूसरा रूप माना जाता है. मान्यता है कि हरा सोना कहलाने वाले इन दिव्य वृक्षों पर देवी-देवताओं का हमेशा वास बना रहता है. हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को बहुत ही ज्यादा पवित्र और मंगलकारी माना गया है. मान्यता है कि इसमें देवताओं का वास रहता है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि "मैं वृक्षों में पीपल हूं." वैसे मान्यता है कि पीपल के जड़ में ब्रह्मा जी, तने में भगवान विष्णु और सबसे ऊपरी भाग में शिव का वास होता है. न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि वनस्पति विज्ञान और आयुर्वेद के अनुसार भी पीपल का पेड़ कई तरह से फायदेमंद माना गया है.


इस दिन न चढ़ाएं पीपल पर जल
शास्त्रों के मुताबिक शनिवार को पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी का वास होता है. इस दिन पीपल में जल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है. गुरुवार एवं शनिवार के दिन जहां पीपल पर जल चढ़ाने का विशेष लाभ माना गया है, वहीं रविवार के दिन पीपल में जल चढ़ाने को लेकर मनाही है. मान्यता है कि इस दिन पीपल में जल अर्पण करने से धन की हानि होती है. साथ ही हमेशा पैसों की तंगी बनी रहती है. इसी तरह पीपल के पेड़ को काटना भी अत्यंत अशुभ माना गया है. ऐसा करने पर वंश वृद्धि में बाधा आती है.

पीपल की पूजा से पाएं शनि दोष से मुक्ति
पीपल के पेड़ को दीर्घायु प्रदान करने वाला माना जाता है. शनि के दोष को दूर करने के लिए पीपल के पेड़ की विशेष रूप से रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

पीपल की पूजा से जुड़े उपाय
मान्यता है कि पवित्र पीपल के नीचे हनुमत साधना करने पर पवनपुत्र हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित करके प्रतिदिन पूजा करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
यदि कुंडली में शनि अशुभ फल दे रहे हों या फिर कोई व्यक्ति शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती से परेशान हो तो उसे हर शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए. साथ ही शाम के समय सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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