धर्म-अध्यात्म

आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल, भगवान जगन्नाथ के मंदिर के झंडे का रहस्य

Tulsi Rao
5 July 2022 4:47 AM GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Jagannath Puri Rath Yatra 2022: भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. पिछले दो साल से कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते भक्तों को रथ यात्रा में जाने अनुमति नहीं थी लेकिन इस बार इसे शुरू किया गया है. बता दें कि 1 जुलाई से 12 जुलाई तक भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का कार्यक्रम जारी रहेगा. हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार, अषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा निकाली जाती है. जान लें कि भारत के 4 पवित्र धामों में से ओडिशा (Odisha) के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर (Lord Jagannath Temple) एक है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भी शामिल होते हैं. कहा जाता है कि बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ और भाई बलभद्र उन्हें रथ पर लेकर निकले थे, इस दौरान वो अपनी मौसी के घर गंडिचा में भी गई थीं. तब से ही रथ यात्रा परंपरा की शुरुआत हुई. भगवान जगन्नाथ के मंदिर में कई चौंका देने वाले रहस्य हैं, आइए इनके बारे में जानते हैं.

आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी की हैं. मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने जब देह त्याग किया था तो उनका अंतिम संस्कार हुआ. भगवान श्रीकृष्ण का बाकी शरीर तो पंचतत्व में विलीन हो गया लेकिन उनका हृदय सामान्य और जिंदा रहा. कहा जाता है कि यह दिल आज भी सुरक्षित है और वो भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में धड़कता है.
भगवान जगन्नाथ के मंदिर के झंडे का रहस्य
भगवान जगन्नाथ के मंदिर का झंडा हर शाम को बदला जाता है. मान्यता है कि अगर इस झंडे को नहीं बदला गया तो मंदिर अगले 18 साल के लिए बंद हो जाएगा.
किचन से जुड़ी खास बात
भगवान जगन्नाथ के मंदिर का किचन दुनियाभर के सबसे बड़े किचनों में शामिल है. यहां मंदिर में प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता है. यहां प्रसाद 7 बर्तनों में एक ही लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. लेकिन हैरान करने वाली बात है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन का प्रसाद पहले बन जाता है और सबसे नीचे रखे बर्तन वाला प्रसाद बाद में.
आंख पर पट्टी बांधकर पुजारी बदलता है मूर्तियां
बता दें कि भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की मूर्ति को बदला जाता है. इन मूर्तियों को बदलते समय अंधेरा कर दिया जाता है. एक पुजारी के अलावा किसी को भी मंदिर में घुसने की इजाजत नहीं होती है. मूर्ति बदलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है.
ब्रह्म पदार्थ का चौंका देने वाला रहस्य
भगवान जगन्नाथ मंदिर में पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में एक चीज वैसी की वैसी रहती है जिसका नाम ब्रह्म पदार्थ है. इसको पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डाल दिया जाता है. मान्यता है कि जो ब्रह्म पदार्थ को देखता है उसकी मौत हो जाती है. कई पुजारियों का कहना है कि ब्रह्म पदार्थ पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में डालते समय उछलता हुआ महसूस होता है. छूने में यह खरगोश जैसा लगता है.
मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ते पक्षी
भगवान जगन्नाथ के मंदिर के गुंबद पर कभी किसी पक्षी को बैठे हुए नहीं देखा गया है. इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज के भी उड़ने की मनाही है.


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