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हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण ज्येष्ठ मास की आमावस्या तिथि को लग रहा है। यह तिथि ग्रिगेरियन कैलेण्डर के अनुसार, 10 जून को पड़ेगी।
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण ज्येष्ठ मास की आमावस्या तिथि को लग रहा है। यह तिथि ग्रिगेरियन कैलेण्डर के अनुसार, 10 जून को पड़ेगी। यह इस वर्ष का दूसरा ग्रहण है, परन्तु सूर्य ग्रहण पहला है। इससे पहले 26 मई को वर्ष का पहला चन्द्र ग्रहण लग चुका है। इसके अतिरिक्त अभी इस वर्ष एक चन्द्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण लगेगा। वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण दिसंबर महीने में पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह आंशिक सूर्य ग्रहण है, भारत में न के बराबर दिखाई देगा। अतः इसका देश में प्रभाव भी आंशिक ही रहेगा।
सूर्य ग्रहण के सूतक काल का विचार
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य ग्रहण, दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर शाम के 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। परन्तु यह सूर्य ग्रहण भारत में, आंशिक सूर्य ग्रहण है। इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर क्षेत्र, दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका और आइसलैंड में अधिक प्रभावशाली रहेगा।
सूतक काल
ज्यतिषशास्त्र के अनुसार, सूतक काल की गणना सूर्य ग्रहण लगने 12 घंटे पहले से की जाती है तथा सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यहां तक कि मंदिरों के द्वार भी बन्द कर दिये जाते हैं। भोजन आदि भी इस काल में करना या बनना उचित नहीं माना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, सूतक काल में केवल भगवान का भजन करने का ही विधान है।
हिन्दू धर्म व ज्योतिष में मान्यता है कि ग्रहण काल में राहु व केतु ग्रहों के अधिक सक्रिय होने के कारण आपके जीवन में कई तरह की कठिनाइयां व परेशानियां आ सकती हैं। अतः राहु-केतु के दुष्रभाव को समाप्त करने के लिए ग्रहण के बाद आनाज, धन या गाय का दान करना चाहिए। ग्रहण के बाद किये हुये दान का फल अक्षय होता है तथा सभी रोग-दोष से मुक्ति मिलती है।
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