धर्म-अध्यात्म

अनंत चतुर्दशी के व्रत से मिलता है अक्षय पुण्य.....जानिए इसकी तिथि और महत्व

Bhumika Sahu
15 Sep 2021 4:33 AM GMT
अनंत चतुर्दशी के व्रत से मिलता है अक्षय पुण्य.....जानिए इसकी तिथि और महत्व
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अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन नारायण के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है. इस बार अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर को पड़ रही है, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत विधि.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के तौर पर मनाया जाता है. इसी दिन गणेश महोत्सव का समापन होता है और घर में विराजे गणपति को धूमधाम से विदाई देकर उनका विसर्जन कर दिया जाता है. गणपति के विसर्जन के कारण तमाम लोग ये दिन गणपति के पूजन का दिन समझते हैं. लेकिन वास्तव में ये पावन पर्व श्रीहरि की पूजा का है. इस बार अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर रविवार के दिन पड़ रही है.

इस दिन नारायण के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन नारायण की विधि विधान से पूजा और उनका व्रत सभी तरह के संकटों से मुक्ति दिलाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत से अक्षय पुण्य यानी कभी खत्म न होने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है. द्वापरयुग में जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार कर वन में भटक रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी. इसके बाद ही उन पर से संकट के बादल छंटना शुरू हो गए थे और उन्होंने कौरवों का अंत कर अपने सारे अधिकार वापस प्राप्त कर लिए थे. जानिए इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि.
शुभ मुहूर्त
इस दिन चतुर्दशी तिथि 19 सितंबर 2021 की सुबह 6:07 मिनट से शुरू होकर, 20 सितंबर 2021 सोमवार को सुबह 5:30 मिनट तक रहेगी. पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:44 मिनट तक है. चूंकि 19 तारीख को पूरे दिन की चतुर्दशी तिथि है, ऐसे में राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय पूजन किया जा सकता है. 19 सितंबर को राहुकाल शाम 04:52 से 06:22 तक रहेगा.
व्रत विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प करें. इसके बाद पूजा के स्थान को साफ करके और गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें. वहां एक कलश स्थापित करें. कलश पर भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्यापर लेटे हुए एक तस्वीर को रखें. तस्वीर के सामने चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र रखें. इसके बाद ॐ अनन्ताय नम: मंत्र से भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूजा करें. भगवान और अनंत को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप अर्पित करें और भगवान को खीर या किसी अन्य मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद अनंत को बांह में बांध लें. पूरे दिन का उपवास रखें. शाम को पूजन के बाद अपना व्रत खोलें.


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