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हथेली में भाग्य रेखा का अंत बताता है जीवन में कितना पाएंगे धन
भाग्य रेखा का आरंभ आपकी हथेली में कहां से हुआ है और भाग्य रेखा आपकी हथेली में कहां पर समाप्त हुआ है। इन दोनों बातों हस्तरेखा विज्ञान में बड़ा महत्व है। हस्तरेखा विज्ञान में बताया जाता है कि भाग्य रेका का जहां पर अंत हुआ है उसे देखकर आप जान सकते हैं कि आपका भाग्य कैसा रहेगा। आपको किस्मत का कितना साथ मिलेगा।
भाग्य रेखा हथेली में कहां होती है
भाग्य रेखा हथेली में किसी भी स्थान से आरंभ हो सकती है और वह या तो सीधे शनि पर्वत तक जाती है या फिर हथेली के बीच में ही समाप्त हो जाती है। शनि पर्वत पर इस रेखा के समाप्त होने पर इसे शनि रेखा ही कहा जाता है। लेकिन, कई लोगों की हथेली में यह रेखा शनि पर्वत की जाने की बजाय मुड़कर गुरु या बुध पर्वत तक भी पहुंच जाती है। जिससे भाग्य रेखा व्यक्ति को अलग-अलग प्रभाव देता है। गुरु की ओर भाग्य रेखा जाना कुछ स्थितियों में बेहद शुभ माना जाता है।
गुरु पर्वत पर भाग्य रेखा का अंत होना
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, यदि भाग्य रेखा हथेली के बीच में आकर बृहस्पति के क्षेत्र तक चली जाए तो ऐसे लोग ज्ञानी और गंभीर होते हैं। भाग्य रेखा के गुरु पर्वत पर साफ और स्पष्ट रूप तक पहुंचने पर व्यक्ति खूब धन और मान प्रतिष्ठा पाता है। ऐसे व्यक्ति समाज और परिवार में आदरणीय होता है। प्रबंधन, शिक्षा धार्मिक क्षेत्र में यह प्रमुख हो सकते हैं।
भाग्य रेखा ऐसी होने पर मिलती है उन्नति
भाग्य रेखा चंद्र पर्वत यानी अंगूठे के दूसरी ओर से आरंभ होकर सुंदर और गहरी होकर बृहस्पति क्षेत्र तक जाती है तो किसी की सहायता से स आप खूब सफलता पाते हैं। पुरुषों के हाथों में ऐसी रेखा होने पर किसी महिलाा का उनको खूब सहयोग मिलता है। यदि किसी महिला के हाथों में ऐसी रेखा है तो उस महिला को अपने पति, भाई या किसी करीबी पुरुष की मदद मिलेगी जिससे उसकी उन्नति हो सकती है।
भाग्य रेखा का अंत मंगल पर्वत पर
किसी व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा मणिबंध के पास से आरंभ होती है और कुछ दूर तक सीधे जाकर वह घूमकर मंगल पर्वत जो हथेली के बीच में दोनों सिरों पर होता है वहां तक पहुंच जाए तो व्यक्ति अपने साहस और जोश से जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य को भी हासिल कर लेता है। ऐसे लोगों में नेतृत्व की भी अच्छी क्षमता पायी जाती है। आपको बता दें कि हथेली में मंगल के लिए दो स्थान बताए गए हैं उच्च मंगल और निम्न मंगल।हथेली में बायीं ओर उच्च मंगल होता है और दायीं ओर निम्न मंगल होता है।
भाग्य रेखा का अंत सूर्य और बुध पर्वत पर
किसी व्यक्ति की भाग्य रेखा एक स्थान से निकलकर सूर्य क्षेत्र तक जाती है यानी अनामिका ऊंगली के आंरभ तक पहुंचती है तो वह व्यक्ति कला और व्यापार में सफलता प्राप्त करता है। इसके अलावा अगर भाग्य रेखा बुध के क्षेत्र तक जाए तो व्यक्ति को व्यापार में अपार सफलता मिलती है। बुध पर्वत पर भाग्य रेखा जाने पर व्यक्ति अपनी वाणी से भी खूब सफलता पाता है। ऐसे लोग वाणिज्य और बैंकिंग में भी सफल होते हैं।