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धर्म-अध्यात्म
शनि की इस स्थिति परिवर्तन का राशियों पर प्रभाव, जानें बचाव के उपाय
Tulsi Rao
25 Jun 2022 2:24 PM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Shani Vakri Effect 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है. शनि को सबसे धीमा गति वाला ग्रह कहा जाता है. वहीं, पूरे राशि चक्र को पूरा करने में 30 साल का समय लगता है. इसलिए शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं और हरचरण ढाई साल का होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि 11 अक्टूबर 2021 को सीधे मकर राशि में चले गए थे. और 30 साल बाद 29 अप्रैल को शनि ने अपनी ही राशि कुंभ में गोचर किया था. अब 5 जून को शनि की वक्री गति शुरू हो गई और 12 जुलाई को फिर से मकर राशि में गोचर कर जाएंगे. अगले साल 17 जनवरी 2023 को मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करेगें.
शनि की इस स्थिति परिवर्तन का राशियों पर प्रभाव
5 जून को शनि देव कुंभ राशि में गोचर कर चुके हैं. इस दौरान 3 राशियां साढ़े साती के प्रकोप में आ चुकी हैं और 2 राशियां ढैय्या का प्रकोप से निकल रही हैं. 5 जून 2022 से 29 मार्च 2025 तक शनि कुंभ राशि में ही विराजमान रहने वाले हैं. बता दें कि इस समय कुंभ राशि शनि प्रकोप से गुजर रही है.
मकर राशि- मकर राशि इन दिन शनि की साढ़े साती से गुजर रही है. 29 अप्रैल से शुरू हुई साढ़े साती 11 जुलाई 2022 तक रहने वाली है. ये मकर राशि के जातकों की साढ़े साती अंतिम चरण में है.
कुंभ राशि- शनि के इस गोचर का सबसे ज्यादा असर कुंभ राशि पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में ये जातक थोड़ा सतर्क रहें. करियर और वित्त संबंधित मामलों में ये समय कुंभ राशि वालों के लिए कठिनाई से भरा हो सकता है. इस अवधि में आलस्य छोड़कर कड़ी मेहनत पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके साख ही, अपने खर्चों पर भी नियंत्रण रखें.
मीन राशि- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मीन राशि के जातकों के लिए 12 जुलाई तक शनि की साढ़े साती प्रथम चरण में होगी. ऐसे में मीन राशि के जातक कोई भी निर्णय धैर्यपूर्वक और सोच-समझकर लें. वरना किसी भी तरह का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
शनि ढैय्या से जूझ रहे हैं ये जातक
इस समय वृश्चिक और कर्क राशि के जातक शनि ढैय्या से जूझ रहे हैं. और अगले ढाई साल तक इन पर ढैय्या रहने वाली है. इस कारण इन लोगों को शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय
मकर राशि- हर शनिवार और संभव हो तो नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें. पीपल के पेड़ के पास शनि स्रोत का पाठ करें. साथ ही, कच्ची लस्सी में काले तिल डालकर पीपल के पेड़ में उसका भोग लगाना शुभ माना जाता है.
कुंभ राशि- शनि के बीच मंत्रों का जाप लाभदायी है.
मीन राशि- शुभ मुहूर्त में काले घोड़े के जूते में कील से बनी अंगूठी, मध्यमा अंगुली में धारण करें.
तुला राशि- हर शनिवार काले कुत्ते को भोजन कराएं.
वृश्चिक राशि- शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें
मिथुन राशि- शनि अमावस्या पर शाम को सूर्यास्त के बाद शनि की पूजा करें. शनि मंत्र का जाप करें.
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