धर्म-अध्यात्म

आपको असफल बना सकती है इन पांच लोगों की संगत

Tara Tandi
10 July 2021 5:50 AM GMT
आपको असफल बना सकती है इन पांच लोगों की संगत
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अक्सर लोग गरुड़ पुराण को पढ़ने से डरते हैं. उन्हें लगता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अक्सर लोग गरुड़ पुराण को पढ़ने से डरते हैं. उन्हें लगता है कि गरुड़ पुराण में सिर्फ मृत्यु के ​बाद की स्थितियों और स्वर्ग और नर्क के बारे में बताया गया है. इसके अलावा लोगों का मानना ये भी है कि गरुड़ पुराण को सिर्फ किसी की मृत्यु के बाद ही सुनना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है, गरुड़ पुराण को कभी भी पढ़ा या सुना जा सकता है. वास्तव में गरुड़ पुराण में बेहतर जीवन से जुड़े कई नियम, सदाचार, जप, तप आदि के बारे में बताया गया है, जिसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते. साथ ही मान्यता है कि इसे यदि किसी की मृत्यु के बाद सुना जाए तो मरने वाले व्यक्ति को सद्गति प्राप्त होती है. इस कारण इसे किसी की मृत्यु के बाद सुना जाता है. गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है, जिनकी संगति व्यक्ति को बर्बादी के मार्ग पर ले जा सकती है.

1. जो लोग जीवन में सब कुछ भाग्य के भरोसे पर छोड़ देते हैं, वो मेहनत करने से कतराते हैं. ऐसे लोगों की संगत आपको निकम्मा बनाती है और असफलता के मार्ग पर ढकेल देती है. इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें और स्वयं अपने कर्मों से अपना भाग्य बनाएं.
2. गरुड़ पुराण के मुताबिक नकारात्मक सोच वाले लोग जीवन में हर किसी में कोई न कोई कमी ढूंढ ही लेते हैं. ऐसे लोगों से हमेशा बचकर रहना चाहिए. ये खुद भी आगे नहीं ​बढ़ पाते और दूसरों को भी नीचे गिराते हैं. यदि आपको सफलता चाहिए तो अपना नजरिया सकारात्मक रखें.
3. ऐसे लोग जिनको अपने धन पर अहंकार होता है और हर बात पर दिखावा करने की आदत होती है, ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए. ये लोग कभी भी किसी व्यक्ति को अपमानित कर सकते हैं.
4. कुछ लोग ​निरर्थक बातें करके अपना भी समय नष्ट करते हैं और दूसरों का भी. ऐसे लोगों की संगत से हमेशा बचकर रहना चाहिए. ऐसे लोग आपको कभी कोई काम नहीं करने देते और आपका ध्यान बातों में भटका देते हैं. इसके कारण व्यक्ति असफल होने लगता है.
5. आलसी लोगों की संगत कभी नहीं रखनी चाहिए. ऐसे लोग सपनों की दुनिया में ही जीते हैं और समय बर्बाद करते हैं. यदि आप इनके साथ रहेंगे तो संगत का असर कहीं न कहीं आप पर जरूर आएगा.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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