धर्म-अध्यात्म

इसलिए कहे जाते हैं ये गणपति ,हर काम की शुरुआत में लेते हैं श्री गणेशजी का नाम

Kajal Dubey
30 March 2022 9:27 AM GMT
इसलिए कहे जाते हैं ये गणपति ,हर काम की शुरुआत में लेते हैं श्री गणेशजी का नाम
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हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य व बुद्धि के कारण भगवान श्री गणेशजी को आदि पंच देवों में भी एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य व बुद्धि के कारण भगवान श्री गणेशजी को आदि पंच देवों में भी एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। ऐसे में भगवान श्री गणेश की पूजा हर शुभ कार्य में सबसे पहले की जाती है। वहीं ज्योतिष में भी इन्हें बुद्धि का कारक माना गया है, जबकि इनको ज्योतिष के ग्रह बुध का कारक देव भी माना गया है। इसके अलावा सप्ताह में इनका दिन बुधवार माना गया है।

श्री गणेशजी की पूजा साल में सबसे महत्वपूर्ण पर्व गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान श्रीगणेश जी को विभिन्न स्थानों में भक्तों द्वारा विराजमान कर पूरे 10 दिनों तक उनकी पूर्ण श्रद्धा से भक्ति की जाती है। गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला ये गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन तक जारी रहता है।

जानकारों के अनुसार भगवान श्री गणेशजी को बेहद मोहिल, बुद्दिमान और ऊर्जवान माना जाता हैं और इसी वजह से इनकी पूजा करने वालों में भी ये गुण दिखाई देते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान श्री गणेशजी का जन्म गणेश चतुर्थी को हुआ था।
ऐसे में हिंदू पंचांग के हर मास में आने वालीं दोनों चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेशजी को समर्पित मानी जाती हैं। गणेश उत्सव के दौरान लगातार 10 दिनों तक गणपति की पूजा के पश्चात इनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि इसके पश्चात श्री गणेशजी अपने अपने माता पिता से मिलने अपने लोक वापस लौट जाते हैं।
भगवान श्री गणेशजी के गणपति कहलाए जाने का सबसे प्रमुख कारण ये है कि ये सस्त गणों के स्वामी कहलाते हैं इसी कारण ही इनका एक नाम 'गणपति' भी है। ज्योतिष शास्त्र में भगवान गणेश को बुध का कारक देव भी कहा जाता है। इसके अलावा हाथी जैसे मुंह के कारण भी इनका नाम 'गजानन' है।
वहीं इन्हें प्राप्त वरदान के अनुसार इनकी पूजा किए बिना किसी की भी किसी भी प्रकार की पूजा और कोई भी कार्य पूर्ण नहीं माना जाएगा इसी कारण उन्हें 'आदिपूज्य' या प्रथम पूज्य भी कहा जाता है।
यहां ये जान लें कि संप्रदाय केवल भगवान गणेश की पूजा करने वाले संप्रदाय को 'गाणपत्य संप्रदाय' कहा जाता है, इस संप्रदाय के लोग मुख्य रूप से भारत के महाराष्ट्र में पाए जाते हैं। भगवान गणेश को भगवान शिव और माता पार्वती की दूसरी संतान माना जाता है, वहीं इनकी दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि है, भगवान श्री गणेशजी का प्रिय भोजन मोदक हैं, जबकि मूषक इनकी सवारी है।


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