धर्म-अध्यात्म

इसलिए कन्या पूजन में रखा जाता है कन्याओं की उम्र का ध्यान

Subhi
1 Oct 2022 5:48 AM GMT
इसलिए कन्या पूजन में रखा जाता है कन्याओं की उम्र का ध्यान
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हिन्दू धर्म में नवरात्र महापर्व के अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विधान है। इस दिन 10 वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं को घर पर आमंत्रित कर भोजन कराने की प्रथा है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन (Kanya Pujan 2022) के दिन कन्या और बटुक की पूजा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं

हिन्दू धर्म में नवरात्र महापर्व के अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विधान है। इस दिन 10 वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं को घर पर आमंत्रित कर भोजन कराने की प्रथा है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन (Kanya Pujan 2022) के दिन कन्या और बटुक की पूजा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। बता दें कि शास्त्रों में आयु के अनुसार कन्या पूजन के महत्व को भी विस्तार से वर्णित किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि इस दिन आयु के अनुसार कन्याओं को भोग लगाने से भक्तों को विशेष लाभ होता है। आइए जानते हैं कन्या पूजन में क्या है कन्याओं के आयु का महत्व।

कन्या पूजन तिथि

शास्त्रों के अनुसार नवरात्र महापर्व के अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है। पंचाग के मुताबिक इस वर्ष अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर व नवमी तिथि 4 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। इस दिन शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है।

आयु के अनुसार कन्या पूजन का महत्व

2 वर्ष- 2 वर्ष की छोटी कन्या का पूजन करने से दुःख, दरिद्रता और कई प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस आयु की कन्या को कुमारी कहा जाता है।

3 वर्ष- 3 वर्ष आयु की कन्या का पूजन करने से घर-परिवार में शांति आती है और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है।

4 वर्ष- 4 वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को बहुत लाभ होता है। ऐसा करने से उसे बुद्धि, विद्या और राज सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ 4 वर्ष की कन्या को देवी कल्याणी का स्वरूप माना जाता है।

5 वर्ष- शास्त्रों के अनुसार नवरात्र महापर्व में 5 वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी के रूप में जाना जाता है।

6 वर्ष- नवरात्र में 6 वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इनकी पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही अपारशक्ति की प्राप्ति भी होती है। 6 वर्ष की कन्या कालिका के रूप में जानी जाती हैं।

7 वर्ष- नवरात्र महापर्व में 7 वर्ष की कन्या की उपासना करने से और उन्हें भोग लगाने से धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। आपको बता दें कि 7 साल की कन्या को चंडिका के रूप में पूजा जाता है।

8 वर्ष- 8 वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से कोर्ट कचहरी के मामले जल्दी सुलझ जाते हैं और आपसी विवाद से भी मुक्ति प्राप्त होती है शास्त्रों के अनुसार 8 साल की कन्या को देवी शांभवी का स्वरूप माना जाता है।

9 वर्ष- मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि महापर्व में अष्टमी अथवा नवमी तिथि को नौ वर्ष की कन्या का पूजन करने से कष्ट, दोष से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही ऐसा करने से परलोक की प्राप्ति भी होती है। नौ वर्ष की कन्या को स्वयं देवी दुर्गा का रूप माना जाता है।

10 वर्ष- कन्या पूजन के दिन 10 वर्षीय कन्या की पूजा करने से सभी बिगड़े काम सफल हो जाते हैं और मनोकामना पूर्ण होती है। इन्हें माता सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है।


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