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सच बोलना एक अच्छी आदत, विद्यार्थी जीवन में कभी भी झूठ न बोलें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कहानी - पुराने समय में जाबाला नाम की महिला थी। धर्म में उसकी बहुत रुचि थी। उसका एक बेटा था सत्यकाम। अपने बेटे को गर्भावस्था से ही जाबाला ने अच्छी-अच्छी बातें सिखाईं।
जन्म के बाद जब सत्यकाम विद्या ग्रहण करने के लायक हुआ तो एक दिन उसने अपनी माता से कहा, 'मैं हद्रुमत मुनि के आश्रम में पढ़ने जाना चाहता हूं। उनके आश्रम में बड़े-बड़े लोग पढ़ने आते हैं।'
बालक सत्यकाम ने माता से पूछा, 'जब मैं हद्रुमत मुनि के आश्रम में पढ़ने जाऊंगा तो वहां मेरी गौत्र पूछेंगे तो मैं क्या बताऊंगा।'
उस समय विद्या देने से पहले गौत्र पूछी जाती थी। जाबाला ने कहा, 'तू सत्य बोलना। तेरी मां अनेक विद्वान पुरुषों की सेवा करती आई है तो तू किसकी संतान है, ये मुझे भी नहीं मालूम है, लेकिन मुझे इतना मालुम है कि तू मेरी संतान है। जब तू गर्भ में था, मैंने धर्म का पालन किया, मेरा आचरण शुद्ध रखा, मेरे सोच-विचार अच्छे थे। जब तेरा जन्म हुआ तो उसके बाद भी मैंने तेरे लालन-पालन में कोई कमी नहीं रखी। तू ईमानदारी से मुनि को बता देना कि गौत्र तो मालुम नहीं, लेकिन मां का नाम जाबाला है। अपना पूरा नाम बताना जाबाला सत्यकाम।'
सत्यकाम हद्रुमत मुनि के आश्रम में पहुंचा और जब उससे उसकी गौत्र पूछी गई तो उसने सभी विद्यार्थियों के सामने बड़े गर्व के साथ कहा, 'गौत्र मुझे ज्ञात नहीं, लेकिन मेरी मां मुझे ज्ञात है। मैं जाबाला सत्यकाम हूं।'
मुनि तुरंत समझ गए और उन्होंने कहा, 'जो सार्वजनिक रूप से जीवन का इतना बड़ा सत्य बोल सकता है, उसे किसी गौत्र की आवश्यकता नहीं है। तुम इतने योग्य हो कि इस आश्रम के विद्यार्थी बनोगे और एक दिन नाम कमाओगे।'
सीख - वैसे तो सभी को सच बोलना चाहिए, लेकिन खासतौर पर विद्यार्थी जीवन में कभी भी झूठ न बोलें। विद्यार्थी को अनुचित मार्ग, छोटा तरीका, खोटी बातों से हमेशा बचना चाहिए। विद्या ग्रहण करते समय अच्छी आदतें लग जाती हैं तो जीवनभर लाभ मिलते हैं।