धर्म-अध्यात्म

Tantra Vidya: तंत्र विद्या के लिए होती है हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की पूजा

Admin4
18 Jun 2024 6:53 PM GMT
Tantra Vidya:  तंत्र विद्या के लिए होती है हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की पूजा
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Tantra Vidya : हनुमान जी के पंचमुखी रूप को उनका रौद्र रूप कहा जाता है और इस रूप को धारण करने के पीछे रामायण के युद्ध की एक बड़ी दिलचस्प कहानी छिपी हुई है. कृति वास रामायण के अनुसार जब Sriram और रावण के बीच युद्ध चल रहा था तब रावण ने देखा की उसकी सेना श्री राम की सेना के हाथों परास्त हो रही थी. अपनी सेना की हालत देख रावण अपने भाई अही रावण से मदद मांगने पहुंचा. अही रावण एक मायावी राक्षस था जो मां भवानी का भक्त था और तंत्र विद्या में माहिर था. अपने भाई की दुविधा समझकर उसने अपनी मायावी शक्ति का इस्तेमाल कर श्री राम की सेना को एक गहरी निद्रा में सुला दिया और
श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया.

जैसे ही Hanuman श्री राम और लक्ष्मण की सहायता करने आगे बड़े अहिरावन बड़ा बनकर उनके सामने खड़ा हुआ और हनुमान जी और अही रावण के बीच एक भयंकर युद्ध शुरू हुआ. युद्ध में जहां हनुमान जी अपने पूरे बल से अहिरावण का सामना कर रहे थे. वही अहिरावन माया का इस्तेमाल कर बार-बार बच रहा था. बहुत देर तक चले युद्ध के बाद हनुमान जी ने देखा की अहि रावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जलाकर रखे थे. दरअसल मां भवानी की कड़ी तपस्या करने के बाद अहिरावन को एक वरदान मिला था जिसके चलते जो शख्स ये पांचों दिए एक साथ बुझाएगा वही अहिरावन का वध कर पाएगा और इसी कार्य को अंजाम देने के लिए हनुमान जी ने अपना पंचमुखी रूप धारण किया.
उत्तर दिशा में वरामुख दक्षिण दिशा में नरसिम्हा पश्चिम दिशा में करुड़ मुख, आकाश की तरफ हगरी मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख अपने इस पंचमुखी रूप में आकर हनुमान जी ने सभी दिशाओं के दीपक एक साथ बुझा दिए और अहि रावण का वध कर दिया.
भारत के अलग अलग हिस्सों में पंचमुखी हनुमान जी के कई मंदिर है और माना जाता है कि अक्सर हनुमान जी के इस रूप की पूजा सिद्धि हासिल करने के लिए की जाती है. लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की साधना करना बिल्कुल आसान नहीं है.
हनुमान जी के पंचमुखी रूप को अक्सर तंत्र विद्या से जोड़ा जाता है और कई तांत्रिक क्रियाएं जैसे विद्या नर्व तंत्र में इस रूप के महत्त्व को अलग-अलग तरीके से समझाया गया है. आज भी पंचमुखी हनुमान के मंदिरों में तांत्रिक तरीकों से हनुमान जी की पूजा की जाती है. जिसमे 14 दिन और 14 रात तक बिना रुके मंत्रो का उच्चारण होता है.
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