धर्म-अध्यात्म

पितृदोष से मुक्ति के लिए कर ले यह खास उपाय, मिलेगा पितरों का पूरा आशीर्वाद

Renuka Sahu
20 Sep 2021 1:49 AM GMT
पितृदोष से मुक्ति के लिए कर ले यह खास उपाय, मिलेगा पितरों का पूरा आशीर्वाद
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फाइल फोटो 

पूर्वजों के प्रति श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाला धार्मिक कार्य श्राद्ध कहलाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूर्वजों के प्रति श्रद्धा पूर्वक किया जाने वाला धार्मिक कार्य श्राद्ध कहलाता है. पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए श्राद्ध की परंपरा सदियों से चली आ रही है. मान्यता है कि पितृपक्ष शुरु होते ही हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं. पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा को समर्पित करने का महापर्व पितृपक्ष 20 सितंबर 2021 से 06 अक्टूबर 2021 तक मनाया जाएगा. इस दौरान पितरों के लिए कई ऐसे धार्मिक कार्य एवं उपाय किए जाते हैं जो उन्हें संतुष्ट करके हमें उनका आशीर्वाद दिलाने में सहायक होते हैं. देश के कई प्रमुख तीर्थ स्थल जैसे हरिद्वार, प्रयागराज, गया आदि में जाकर पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. इस पितृपक्ष में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखा जाता है अन्यथा पितृ नाराज हो जाते हैं, जो पितृदोष का कारण बनता है. ज्योतिष शास्त्र में भी इस पितृदोष का वर्णन मिलता है, जिसका सीधा अर्थ पितरों की नाराजगी से है. पितृदोष के चलते व्यक्ति को जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

किन्हें लगता है पितृ दोष
मान्यता है कि जो लोग पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का सम्मान नहीं करते हैं, उनके निमित्त तिल, कुश, जल के साथ दान नहीं करते हैं और उन्हें नाराज कर देते हें, उन्हें यह दोष लगता है. इसी तरह जो व्यक्ति अपने पूर्वजों या बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान करता है या फिर उनके लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करता है, उसे भी यह पितृदोष लगता है. मान्यता है कि ​पितृ पक्ष में पूर्वज किसी भी रूप में घर में आ सकते हैं इसलिए किसी भी व्यक्ति के प्रति अपने मन में बुरे विचार ना लाएं और न ही उसका अपमान करें.
पितृपक्ष में कैसे करें तर्पण
सनातन परंपरा में पितरों के लिए किये जाने वाले श्राद्ध का बहुत महत्व है. स्कंदपुराण के केदार खंड के अनुसार श्राद्ध करने पर संतान की प्राप्ति होती है. 'श्रद्धा द्वै परमं यश:' यानि श्राद्ध से परम आनंद और यश की प्राप्ति होती है. श्राद्ध करने से ही स्वर्ग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने के लिए पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके चावल से तर्पण करना चाहिए. इसके बाद उत्तर दिशा की ओर मुंह करके कुश के साथ जल में जौ डालकर तर्पण करें. इसके बाद अपसव्य अवस्था में दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके और बायां पैर मोड़कर कुश-मोटक के साथ जल में काला तिल डालकर पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए.


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