धर्म-अध्यात्म

मेष, मकर और कुंभ राशि वाले सावन में रोजाना कर लें ये खास उपाय, खुशियों से भर जाएगा जीवन

Subhi
17 July 2022 4:32 AM GMT
मेष, मकर और कुंभ राशि वाले सावन में रोजाना कर लें ये खास उपाय, खुशियों से भर जाएगा जीवन
x
हिंदू धर्म में सावन के माह का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शंकर धरती में ही रहते हैं।

हिंदू धर्म में सावन के माह का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शंकर धरती में ही रहते हैं। सावन माह में भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुछ राशियों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। ये राशियां हैं, मेष,मकर और कुंभ। इन राशियों पर शिव मेहरबान रहते हैं। सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। आप सावन में रोजाना इन उपायों को कर भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं सावन माह में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए क्या करें...

भगवान शंकर का गंगा जल से अभिषेक करें-

सावन माह में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करें। हिंदू धर्म में गंगा जल को पवित्र माना जाता है। शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करते समय रुद्राष्टकम का पाठ करें-

।।श्री रुद्राष्टकम।।

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ ।

करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌ ॥

सावन के पहले शनिवार पर इन 3 राशियों पर शनिदेव की रहेगी विशेष कृपा

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌ ।

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्‌ ।

मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌ ।

त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌ ॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।

चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥


Next Story