धर्म-अध्यात्म

अधिक मास की पूजा के अचूक उपाय, जिसे करते ही बरसता है हरिहर का आशीर्वाद

HARRY
25 Aug 2023 12:59 PM GMT
अधिक मास की पूजा के अचूक उपाय, जिसे करते ही बरसता है हरिहर का आशीर्वाद
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अधिक मास : इस मलमास में किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य, जैसे शादी-व्याह, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे शुभ एवं मांगलिक कार्य की पूरी तरह से मनाही होती है, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.अधिक मास की पूजा के अचूक उपाय, जिसे करते ही बरसता है हरिहर का आशीर्वादअधिकमास पूजा के उपाय.पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण मास के साथ अधिक मास का भी संयोग बना हुआ है और इसकी शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में ये मास 16 अगस्त तक चलेगा. सनातन परंपरा के अनुसार, अधिकमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक, इस अधिक मास में किसी भी तरह पूजा-पाठ के काम, जिसमें शादी-, मुंडन, जैसे मांगलिक कामोंं पर निषेध होता है. आइए जानते हैं कि इस पावन मास में महादेव और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा के कौन से उपाय करने चाहिए. सनातन परंंपरा के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु को दुनिया का पालक माना गया है, जो सभी लोगों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. ऐसे में श्री हरि की पूजा के लिए गुरुवार का दिन काफी शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ये बहुत जल्द ही फलदायी होता है.

अधिकमास पर शिवपूजा का क्या है महत्व?धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अधिकमास में भगवान शिव और श्री हरि की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है. चूंकि, अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु और सावन माह के स्वामी भगवान शिव हैं. ऐसे में सावन के महीने में पूजन से भगवान विष्णु और शिव दोनों का ही आशीर्वाद मिलता है.शास्त्रों के अनुसार, सावन माह में देवों के देव महादेव की पूजा का बड़ा महत्व होता है. इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं. जबकि, अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा का महत्व होता है. इस बार सावन महीने में ही अधिकमास का संयोग बना है, जिस कारण भगवान शिव और विष्णु दोनों की पूजा की जाएगी.जानिए कब और क्यों बनाया जाता है अधिकमास?हिंदू धर्म के अनुसार, एक बाद असुरों के राजा हिरण्यकश्यप ने अमर होने की कामना करते हुए ब्रह्मा जी की तपस्या कर वर मांगा था कि वो न दिन में न ही रात में हो, न मनुष्य के जरिए हो और न ही पशु के जरिए उसकी मौत न हो. इसके बाद से हिरण्यकश्यप ने श्री हरि की पूजा पर रोक लगा दी थी. उधर, जब पृथ्वी पर उसके द्वारा किए गए अत्याचार बढ़ गये तो भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ. जिसके बाद श्री हरि ने 12 माह के अलावा 13वें महीनें को अधिक मास बनाया. इसके बाद उन्होंने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया था. ये भी पढें: कब और किसने बढ़ाया मलमास का महत्व, जाने इसका धार्मिक महत्व अधिकमास में ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा? अधिकमास में भगवान विष्णु को दीपदान और ध्वजा दान भी करना चाहिए. साथ ही इस मास में गायों को घास खिलानी चाहिए. माना जाता है कि अधिकमास में किए गए पूजा पाठ के कामों का किसी भी अन्य समय की गई पूजा का 10 गुना ज्यादा फल मिलता है.

अधिक मास में भगवान शालिग्राम की मूर्ति के पास बैठकर घर के मंदिर में घी का दीपक पूरे महीने जलाना चाहिए, इससे श्री हरि की कृपा दृष्टि पड़ती है.अधिक मास में भगवतगीता और विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत पाठ, श्री राम कथा वाचन और गजेंद्र मोक्ष कथा को पड़ना चाहिए. ऐसे में खासतौर में भगवत गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14 वें अध्याय का रोजाना पाठ करना चाहिए. इससे जातकों के सभी संकटों का निपटारा हो जाता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, इस मास में भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की भी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस मास में जो भी व्यक्ति भगवान नरसिंह को पूजेगा वो हमेशा खुशी रहेगा, वो कभी भी गरीब नहीं रहेगा. जो जातक इस मास में व्रत और पूजा करता है वो सभी पापों से छूटकर बैकुंठ को प्राप्त होगा.

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