धर्म-अध्यात्म

सूर्य पुत्र शनि देव का अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश

Kajal Dubey
3 May 2022 4:35 AM GMT
Suns son Shani Dev enters his original triangle zodiac Aquarius
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शनि का प्रभाव जिनकी भी साढ़ेसाती,ढैया या दशा या अंतर्दशा शनि की चल रही होगी उन पर शनि के इस गोचर का प्रभाव अधिक पड़ेगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क । न्याय के कारक ग्रह शनि 30 वर्षो बाद अपनी साधारण राशि मकर को छोड़कर अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में 29 अप्रैल 2022 को प्रवेश कर गए हैं। इनका यह गोचर मानव जगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि शनि कर्म के देवता है। सभी के कर्मो का लेखा-जोखा रखते है। अतः इनका अपनी कुंभ राशि में आना कर्म के अनुसार फल का समय है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। यह बहुत ही मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। इनका प्रभाव हर क्षेत्र में देखने को मिलता है। शनि 5 जून को कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे और 13 जुलाई 2022 को वक्री होकर पुनः मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे तथा 17 जनवरी 2023 को पूर्ण रूप से कुंभ राशि में आ जाएंगे।

शनि का प्रभाव जिनकी भी साढ़ेसाती,ढैया या दशा या अंतर्दशा शनि की चल रही होगी उन पर शनि के इस गोचर का प्रभाव अधिक पड़ेगा। शनि के गोचर से धनु राशि से साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी तथा मीन राशि पर साढ़ेसाती की शुरुआत हो जाएगी। मकर राशि के अंतिम चरण की तथा कुंभ राशि के दूसरे चरण की शुरुआत हो जाएगी। शनि कर्म के ग्रह हैं। शनि साढ़ेसाती काल में दुःख ही नहीं देते,सुख भी देते हैं। बल्कि सुख के दिन दुःख के दिनों से ज्यादा होते हैं। बल्कि जन्म लग्न,सूर्य लग्न तथा चन्द्र लग्न,इन दिनों से ही जन्म पत्रिका के केन्द्र भाव में या त्रिकोण भाव में शनि स्थित हों तो अत्यंत शुभ फल देने की स्थिति में आ जाते हैं। चन्द्र राशि से चौथे और आठवें भाव में अगर शनि गोचर करें तो इसे ढैय्या कहते हैं और इसके अशुभ फल प्राप्त होते हैं। इस बार यह हो रहा है कि ना केवल शनि राशि बदल रहे हैं बल्कि बृहस्पति,राहु और केतु भी अप्रैल माह में ही राशि बदल चुके हैं। इसलिए इन ग्रहों के मिश्रित परिणाम होंगे। विंशोत्तरी दशा पद्धति में 120 वर्ष की गणना की जाती है जिनमें से शनिदेव को 19 वर्ष प्रदान किये गये हैं। शनि की दशा के समय ही यदि साढ़ेसाती आ जाए तो परिणामों में तीव्रता आ जाती है। ज्योतिष में शनि को दण्डनायक कहा गया है और ये कर्मों का फल प्रदान करते हैं। शनि की दशा या साढ़ेसाती काल में व्यक्ति साधारण नहीं रह पाता,बल्कि उसका उत्थान या पतन देखने को मिलता है।
कुछ लग्नें ऐसी हैं जिनके केन्द्र में शनि इन दो-ढाई साल में पंच महापुरुष योग बनाएंगे। गोचरवश यह पंचमहापुरुष योग वृषभ राशि,सिंह राशि,वृश्चिक राशि वालों को रहेगा। ये शनि इन राशियों के लिए अपने पाप फलों में कमी कर लेंगे और शुभ फलों में वृद्धि करेंगे। शनि के इस योग को शश योग कहते हैं। शनि हमारे पिछले जन्म के कर्मों को भी दिखाते हैं। शनि संसार भी हैं और शनि सन्यास भी है कुंभ राशि एक आध्यात्मिक राशि है और इसका प्रतीक एक घड़ा है।अतः इस शनि के कुंभ राशि में गोचर के दौरान बहुत से छुपे हुए रहस्य बाहर आयेगे।
शनि,मंगल के नक्षत्र धनिष्ठा में हैं और मंगल के साथ कुंभ राशि में रहेंगे तथा यहां से यह अपनी तीसरी दृष्टि से मेष राशि को दृष्टि करेंगे जहां पर सूर्य और राहु पहले से ही विराजमान है। मंगल भी राहु के नक्षत्र में ही हैं। गुरु जो कि मीन राशि में गोचर कर रहे हैं वह पाप कर्तरी स्थिति में आ जाएंगे अतः हो सकता है कि आने वाले समय में लोगों में भय व्याप्त हो।आने वाले समय में युद्ध, हिंसा, बड़े-बड़े आंदोलन व धर्म के प्रति लोग लड़ते हुए दिखेंगे।हालांकि सरकार द्वारा कुछ कड़े निर्णय भी लिए जाएंगे जिसका कि विरोध सरकार को उठाना पड़ेगा।
शनि कुंभ राशि में धनिष्ठा,शतभिषा,पूर्वाभाद्रपद में ही भ्रमण करते रहेंगे। शनि की तीसरी दृष्टि राहु पर होगी और राहु मेष राशि में है।मेष राशि इंजीनियरिंग की राशि है। अतः रिसर्च के क्षेत्र में कोई बड़ा सा लाभ हो सकता है। राहु,साइंस और टेक्नोलॉजी को दिखाते हैं। अतः टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत बड़े बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। हीमोग्लोबिन और नर्वस सिस्टम की कुछ परेशानियां लोगों में देखी जाएगी। हालांकि विश्व के हर क्षेत्र में तेजी से घटनाएं बदलेगी।राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितता बढ़ेगी। वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रगति होगी। कुछ नई योजनाएं बनाई जाएंगी।अचानक से राजनैतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।शनि के कुंभ राशि में प्रवेश से उत्तर तथा दक्षिण दिशा में बड़े-बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। हालांकि इसके कुछ बुरे परिणाम भी देखने को मिलेंगे। जैसे वायुयान दुर्घटना,आतंकवादी घटनाए देखने को मिलेंगी। हिंसात्मक गतिविधियां पहले की अपेक्षा और बढ़ेगी तथा प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलेंगी।
अब बात भारत की कुंडली
भारत की कुंडली वृषभ लग्न की है। भारत की कुंडली के दशम भाव में शनि का गोचर,भारत में बेरोजगारी को घटाएगा। भारत में नए नए उद्योग स्थापित होंगे। अर्थव्यवस्था अच्छी रहेगी क्योंकि दशमेश शनि का कर्म भाव से गोचर तथा लाभेश गुरु का स्वयं लाभ भाव से गोचर करना देश के हित में जाएगा। इस साल के राजा शनि हैं व मंत्री गुरु हैं। शनि व गुरु का अपने अपने घर में रहना देश के लिए प्रगति करेगा। कर्म व लाभ का संबंध बना हुआ है अर्थात जैसा कर्म वैसा फल मिलने के संयोग बने हुए हैं। हालांकि महंगाई बढ़ेगी, विरोधी एक दूसरे के विरुद्ध खड़े रहेंगे। भारत में कुछ नए कानून बनने वाले हैं। भारतीय सीमाओं पर विवाद बढ़ेगा। बाढ़,चक्रवात आदि प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेगी। इस गोचर से चीन को काफी परेशानियों का सामना करना होगा। भारत के आर्थिक विकास के लिए यह गोचर अच्छा जाएगा।

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